दिल्लीः अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की कोरोना वायरस की वैक्सीन को भारत में आपातकालीन मंजूरी मिल चुकी है। केंद्र सरकार ने हाल ही में इस वैक्सीन के आपातकाली इस्तेमाल की मंजूरी प्रदान की है। यह सिंगल डोज दवा है। कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार हर वैक्सीन की जहां 2 खुराक से वायरस के प्रकोप से बचा जा सकता है, वहीं जॉनसन एंड जॉनसन का एक इंजेक्शन ही कोविड के अटैक से आपकी सुरक्षा प्रदान कर सकता है। चूंकि इस वैक्सीन को कम समय में विकसित किया गया है। इसलिए इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। अब हम आपको इस वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
यह सभी जानते हैं कि वैश्विक महामारी से जूझ रही दुनिया को राहत प्रदान करने के लिए सभी वैक्सीनों को कम समय में तैयार किया गया है। जॉनसन एंड जॉनसन के साथ ही ऐसी ही स्थिति है। इस वजह से शक्तिशाली प्रभावकारिता डेटा (powerful efficacy data) और निष्कर्षों के बावजूद इसके कुछ दुष्प्रभाव देखे गए हैं।
साइड इफेक्ट्सः- अन्य वैक्सीन की तरह जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगवाने वालों को भी इंजेक्ट की हुई जगह पर तेज दर्ज की शिकायतें आई हैं। वन शॉट वैक्सीन लगवाने वालों में कुछ असामान्य और ‘दुर्लभ’ साइड-इफेक्ट्स भी देखे गए हैं। कुछ देशों में 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में वैक्सीन लगवाने के बाद टीटीएस (TTS) थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ दुर्लभ Thrombosis यानी किसी रक्तवाहिका के अन्दर रक्त के जमना की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिसके कारण इसे बैन कर दिया गया।
खून के थक्के बनने का सिंड्रोम जे एंड जे टीकों के साथ अन्य टीकों के मुकाबले अधिक है, इसके बाद एस्ट्राजेनेका टीका है। इसलिए, मजबूत सुरक्षा दरों के बावजूद, कुछ जोखिम कारक और शर्तें हैं जो कुछ लोगों को विकल्प चुनने के लिए विचार करने पर मजबूर कर सकती हैं।
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन की दुष्प्रभावों में से एक ऑटोइम्यून स्थितियां (autoimmune conditions) है। यह मरीज में न केवल पुराने संक्रमणों के उपजने को आसान बना सकती है, बल्कि COVID-19 टीकों को भी बेअसर कर सकती है। अक्सर गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं के विकास के जोखिम को बढ़ा सकती है। विशेष रूप से, जैसा कि देखा गया है, ऑटोइम्यून स्थितियों से जुड़ी एलर्जी या तंत्रिका संबंधी विकारों का थोड़ा अधिक जोखिम हो सकता है।
जॉनसन एंड जॉनसन गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं अब COVID-19 के खिलाफ टीका लगवा सकती हैं और सरकार भी इसके निर्देश दे चुकी है। इस वैक्सीन से प्रेगनेंट और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी खतरा हो सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान, डीवीटी (डीप-वेन थ्रॉम्बोसिस) का खतरा अधिक होता है, जो उन महिलाओं में सबसे अधिक होता है, जिन्होंने अभी-अभी बच्चे को जन्म दिया है (6 सप्ताह के बाद तक)।
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