Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
ओबीसी की सूची में कौन सी जातियां रहेंगी अब तक करेंगे राज्य, जानिए नया विधियेक लाने के पीछे क्या है केंद्र सरकार की मंशा,क्या होगा बदलाव और क्या पड़ेगा असर - Prakhar Prahari
Subscribe for notification

ओबीसी की सूची में कौन सी जातियां रहेंगी अब तक करेंगे राज्य, जानिए नया विधियेक लाने के पीछे क्या है केंद्र सरकार की मंशा,क्या होगा बदलाव और क्या पड़ेगा असर

दिल्लीः केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें अब अपनी जरूरतों या मर्जी के हिसाब से ओबीसी की सूची तैयार कर पाएंगी। इससे संबंधित विधेयक को सरकार ने सोमवार को लोकसभा में पेश किया। आपको बता दें कि आरक्षण के लिए ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार राज्यों को देने वाला बिल को हाल ही केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की थी।

127वां संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने पेश किया। अब आइए आपको बताते हैं कि इस विधेयक की क्या जरूरत थी। इसके पास होने के बाद क्या बदलाव होगा तथा इसका असर क्या पड़ेगा। साथ ही यह भी बताते हैं कि विपक्षी दलों के नेता ओबीसी आरक्षण की 50 प्रतिशत की लिमिट हटाने की मांग क्यों कर रहे हैं।

विधेयक की जरूरतः- 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को  नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। इसके लिए कोर्ट ने संविधान के 102वें संशोधन का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसी फैसले में महाराष्ट्र में मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने के फैसले पर भी रोक लगा दी थी।

अब आपको बताते हैं कि 102वां संविधान संशोधन किया है।  2018 में हुए 102वें संविधान संशोधन में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की शक्तियों और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया किया गया था। यह संसद को पिछड़ी जातियों की लिस्ट बनाने का अधिकार देता है। इस संशोधन के बाद से ही विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार पर संघीय ढांचे को बिगाड़ने का आरोप लगाती रही हैं। आपको बता दें कि 5 मई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का केंद्र ने भी विरोध किया था। इसी के बाद बदलाव की यह प्रक्रिया शुरू हुई।

विधेयक में क्या प्रावधान हैदरअसल यह विधेयक संविधान के 102वें संशोधन के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए लाया गया है। इसके पास होने के बाद राज्यों को एक बार फिर पिछड़ी जातियों की लिस्टिंग का अधिकार मिल जाएगा। आपको बता दें कि 1993 से ही केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दोनों ही ओबीसी की अलग-अलग लिस्ट बना रहे थे, लेकिन 2018 के संविधान संशोधन के बाद ऐसा नहीं हो पा रहा था। विधेयक के दोनों सदनों से पास होने के बाद पुरानी व्यवस्था फिर से लागू हो जाएगी। इसके लिए संविधान के आर्टिकल 342A में संशोधन किया गया है। साथ ही आर्टिकल 338B और 366 में भी संशोधन हुए हैं।

क्या आएगा बदलेगाइस विधेयक के पास होते ही राज्य सरकारें अपने राज्य के हिसाब से अलग-अलग जातियों को ओबीसी कोटे में डाल सकेंगी। इससे हरियाणा में जाट, राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल, कर्नाटक में लिंगायत आरक्षण का रास्ता साफ हो सकता है। आपको बता दें कि इन राज्यों में ये जातियां लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रही हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इंदिरा साहनी केस का हवाला देकर इन पर रोक लगाता रहा है।

अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि क्या अब सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों के आरक्षण के फैसले पर रोक नहीं लगा सकेगाः- आपको बता दें कि इस विधेयक के पास होने के बाद राज्यों को नई जातियों को ओबीसी सूची  में शामिल करने का आधिकार मिल जाएगा, लेकिन आरक्षण की सीमा अभी भी 50 प्रतिशत ही है। इंदिरा साहनी केस के फैसले के मुताबिक अगर कोई 50 फीसदी की सीमा के बाहर जाकर आरक्षण देता है तो सुप्रीम कोर्ट उस पर रोक लगा सकता है। इसी वजह से कई राज्य इस सीमा को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

क्या है इंदिरा साहनी केसः-

साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया था।  सरकार के फैसले के खिलाफ पत्रकार इंदिरा साहनी कोर्ट चली गईं। कोर्ट ने साहनी केस पर सुनवाई करते हुए नौ जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षण का कोटा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसी फैसले के बाद से कानून बना कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाएगा।

यहीं कारण है कि हरियाणा में जाट,  राजस्थान में गुर्जर,  महाराष्ट्र में मराठा, गुजरात में पटेल जब भी आरक्षण मांग में सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला आड़े आ जाता है। इसके बाद भी कई राज्यों ने इस फैसले की काट निकाल ली है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, हरियाणा, बिहार, गुजरात, केरल तथा राजस्थान जैसे देश के कुछ राज्यों में कुल आरक्षण 50 फीसदी से आरक्षण दिया जा रहा है।

admin

Recent Posts

कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं: मोदी

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः चुनावी वादों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। इस मसले…

4 days ago

अब 60 दिन पहले तक ही होगी ट्रेन टिकट की एडवांस बुकिंग, कॉमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ 62 रुपए तक महंगा, जानें 01 नवंबर से हुए बड़े बदलाव

दिल्लीः रेलवे टिकट की एडवांस बुकिंग अब आप 60 दिन पहले तक कर सकेंगे। पहले ये सुविधा 120 दिन पहले…

4 days ago

जहरीली हुई दिल्ली की हवा, एक्यूआई पहुंचा 400, जानें क्या है खतरा और उपाय

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दिल्ली में देर रात…

4 days ago

जब भगवान श्रीकृष्ण ने चूर किया था इंद्र का घमंड, जानें कब है गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिल्ली: सनातन धर्म में पांच दिवसीय दीपोत्सव का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन से शुरू होने वाली दिपोत्सव का…

5 days ago

कई तरह के लाभ की होगी प्राप्त, भाई-दूज के दिन बस कर लें ये उपाय

दिल्लीः पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भाई-दूज के साथ होता है। यह पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और…

5 days ago

31 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा, 01 नवंबर को स्नान-दान की अमावस्या, 02 को गोवर्धन पूजा और 03 को भाई दूज

दिल्लीः मंगलवार, 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपोत्सव शुरू रहा है। आपको बता दें कि इस साल दीपोत्सव 05…

1 week ago