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अंतरराष्ट्रीय

यूएनएससी की ओपन डिबेट में मोदी ने समंदर को बताया साझा धरोहर, सुरक्षा के लिए बताए पांच सिद्धांत

दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को सम़ुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर यूएनएससी (UNSC) यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओपन डिबेट हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई इस बैठक में यूएनएससी के सदस्य देशों के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, यूनाइटेड नेशंस सिस्टम और प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों के हाई लेवल ब्रीफर्स ने हिस्सा लिया। इस बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसमें शामिल हुए।

यूएनएससी की बैठक सबसे पहले कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले लोगों के लिए मौन रखा गया। इसके बाद की पीएम मोदी के संबोधन हुआ। मोदी ने अपने संबोधन में समुद्री चुनौतियों से निपटने और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए पांच सिद्धांत दिए।

पीएम मोदी ने कहा कि समंदरसाझा धरोहर बताते हुए कहा कि हमारे समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफ लाइन हैं। उन्होंने कहा कि हमारी इस साझा धरोहर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। समुद्री रास्तों का दुरुपयोग पाइरेसी और आतंकवाद के लिए हो रहा है। कई देशों के बीच समुद्री सीमा विवाद हैं। क्लाइमेट  चेंज और प्राकृतिक आपदाएं भी इसी डोमेन से जुड़े विषय हैं। इस व्यापक संदर्भ में अपनी साझा सामूहिक धरोहर के संरक्षण और उपयोग के लिए हमें आपसी समझ और सहयोग का एक फ्रेमवर्क बनाना चाहिए।

मोदी के पांच सिद्धांतः-

पहला सिद्धांत : पीएम मोदी ने कहा कि हमें मेरिटाइम ट्रेड में बैरियर्स हटाना चाहिए। हम सभी की समृद्धि मेरिटाइम ट्रेड के सक्रिय फ्लो पर निर्भर है। इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं। फ्री मेरिटाइम ट्रेड भारत की सभ्यता के साथ अनादि काल से जुड़ा है। हजारों साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता का लोथल बंदरगाह समुद्री व्यापार से जुड़ा हुआ था।

उन्होंने कहा कि प्राचीन समय के स्वतंत्र मेरिटाइम माहौल में ही भगवान बुद्ध का शांति संदेश विश्व में फैल पाया। आज के संदर्भ में भारत ने इस खुले स्वभाव के आधार पर सागर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन दि रीजन का विजन परिभाषित किया है। इस विजन के जरिए हम अपने क्षेत्र में मेरिटाइम सिक्योरिटी का समावेशी ढांचा बनाना चाहते हैं।

दूसरा सिद्धांत : उन्होंने कहा कि समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी विश्वास विश्वास के लिए यह बहुत जरूरी है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शांति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। भारत ने इसी समझ और परिपक्वता के साथ अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा को सुलझाया है।

 

तीसरा सिद्धांत: मोदी ने कहा कि हमें प्राकृतिक आपदाओं और नॉन स्टेट एक्टर्स की ओर से पैदा की गई समुद्री चुनौतियों का मिलकर सामना करना चाहिए। इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने कई कदम उठाए हैं। साइक्लोन, सुनामी और प्रदूषण संबंधित समुद्री आपदाओं में हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर रहे हैं। पाइरेसी को रोकने के लिए भारतीय नौसेना 2008 से हिंद महासागर में पेट्रोलिंग कर रही है।

चौथा सिद्धांत : उन्होंने कहा कि हमें समुद्री पर्यावरण और रिसोर्स को संजोकर रखना होगा। हम जानते हैं कि समुद्र का क्लाइमेट पर सीधा असर होता है। इसलिए हमें अपने समुद्री पर्यावरण को प्लास्टिक जैसे प्रदूषण से मुक्त रखना होगा। ओवर फिशिंग और मरीन कोचिंग के खिलाफ साझा कदम उठाने होंगे। हमें ओशन साइंस में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए। भारत ने एक महत्वाकांक्षी डीप ओशन मिशन लॉन्च किया है।

पांचवा सिद्धांत : पीएम ने कहा कि हमें जिम्मेदार समुद्री संपर्क को प्रोत्साहन देना चाहिए। यह साफ है कि समुद्री कारोबार के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना जरूरी है, लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट के डेवलपमेंट में देशों की आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना होगा। इसके लिए हमें उचित वैश्विक नॉर्म्स और स्टैंडर्ड बनाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि इन 5 सिद्धांतों के आधार पर समुद्री सुरक्षा का वैश्विक रोडमैप बन सकता है।

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