दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी को तगड़ा झटका दिया है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने शुक्रवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के रिलायंस रिटेल के कारार को लेकर सिंगापुर के आपात निर्णय को सही करार दिया। कोर्ट ने ई-व्यवसाय क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि एफआरएल के रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय सौदे पर रोक लगाने का सिंगापुर के आपात निर्णायक का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध एवं लागू करने योग्य है।
पीठ ने इस वृहद सवाल पर गौर किया और फैसला दिया कि किसी विदेशी कंपनी के आपात निर्णायक (ईए) का फैसला भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत लागू करने योग्य है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिलायंस, फ्यूचर ग्रुप की रिटेल संपत्ति खरीदने के सौदे पर आगे नहीं बढ़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बीएसई (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर दो फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है। इससे कंपनी का मार्केट कैप 1.3 लाख करोड़ रुपए घटकर 13.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो पिछले कारोबारी दिवस पर बाजार बंद होने पर 14.77 लाख करोड़ रुपए था।
आपको बता दें कि अमेजन ने इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें फ्यूचर ग्रुप के रिटेल असेट्स को रिलायंस रिटेल को बेचने को चुनौती दी गई थी।
दरअसल अगस्त 2020 में रिलायंस और फ्यूचर रिटेल के बीच सौदा हुआ। इस सौदे के खिलाफ अमेजन सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट पहुंची। 25 अक्टूबर 2020 को सिंगापुर की कोर्ट ने भी इस डील पर रोक लगा दी थी।हालांकि सिंगापुर कोर्ट ने भी कोई आखिरी फैसला नहीं दिया है। चूंकि ये रोक सिंगापुर की कोर्ट ने लगाई थी, इसलिए रिलायंस और फ्यूचर इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं थे। यही वजह थी कि सिंगापुर की कोर्ट का आदेश लागू करवाने के लिए अमेजन को दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करनी पड़ी थी।
सीसीआई (CCI) यानी कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया 20 नवंबर 2020 को ने रिलायंस रिटेल और फ्यूचर ग्रुप सौदे को मंजूरी दी थी। सीसीआई ने बताया था कि कमीशन ने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग कारोबार की खरीदारी को मंजूरी दे दी है।
अब सवाल यह पैदा होता है कि जब रिलायंस-फ्यूचर राजी हैं, तो अमेजन को क्या दिक्कत है? दरअसल अगस्त 2019 में अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए अमेजन ने फ्यूचर ग्रुप को 1,431 करोड़ रुपए चुकाए थे। फ्यूचर कूपन्स के पास फ्यूचर रिटेल में करीब 10फीसदी की हिस्सेदारी थी। यानी सीधे शब्दों में कहें, तो अमेजन ने फ्यूचर रिटेल में पैसा लगाने की शुरुआत कर दी थी।
जिस समय अमेजन और फ्यूचर कूपन्स के बीच समझौता था, तो उस वक्त दोनों कंपनियों के बीच यह तय हुआ था कि अमेजन 3 से 10 साल बाद फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी। साथ ही ये भी तय हुआ कि फ्यूचर रिटेल अपनी हिस्सेदारी रिलायंस इंडस्ट्रीज को नहीं बेचेगी, लेकिन फिर कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया और फ्यूचर रिटेल की हालत खराब हो गई।
आपको याद होगा कि किशोर बियानी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि लॉकडाउन के बाद सारे स्टोर बंद हो गए और तीन-चार महीनों में ही कंपनी को 7,000 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। अंत में इस कंपनी को बेचने का फैसला लिया गया।
अब रिलायंस ने अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपए में फ्यूचर रिटेल खरीदने की घोषणा कर दी। इस डील पर बात कुछ आगे बढ़ती, उससे पहले ही अमेजन ने डील रोकने के लिए सिंगापुर की कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद सिंगापुर की कोर्ट ने डील पर रोक लगा दी। अमेजन की दलील है कि फ्यूचर रिटेल ने उससे बिना पूछे रिलायंस के साथ डील की, जो समझौते का उल्लंघन है।
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