दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पेगासस जासूसी मामले से जुड़ी 9 याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा है कि अगर जासूसी से जुड़ी रिपोर्ट सहीं हैं तो ये गंभीर आरोप हैं। साथ ही याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी-अपनी याचिकाओं की कॉपी केंद्र सरकार को भेजें। अब इस मामले में गली सुनवाई मंगलवार को होगी।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि जासूसी की रिपोर्ट्स 2019 में सामने आई थीं, लेकिन यह नहीं पता कि इसके बारे में किसी ने ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश की या नहीं। उन्होंने याचिकाकर्ताओं से से कहा कि मैं हर केस के तथ्यों को नहीं देख रहा, कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि उनसे फोन इंटरसेप्ट किए गए। तो ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ एक्ट है।
वहीं याचिकाकर्ताओं पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि पेगासस एक खराब तकनीक है जो हमारी जानकारी के बिना हमारी जिंदगी में दाखिल हो जाती है। उन्होंने इसे निजता, गरिमा और गणतंत्र के मूल्यों पर हमला करार दिया और कहा कि स्पाइवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है।
उन्होंने दलील दी कि पत्रकार, संवैधानिक संस्थाएं, अदालत के अधिकारी और शिक्षाविद तक स्पाइवेयर के टारगेट पर थे। ऐसे में सरकार को जवाब देना है कि स्पाइवेयर किसने खरीदा, हार्डवेयर कहां रखा गया और सरकार ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज क्यों नहीं की। मैं चाहता हूं कि सरकार को नोटिस जारी किया जाए।
वहीं एक शिक्षाविद की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील श्याम दीवान ने कहा कि इस मामले की अहमियत बहुत ज्यादा है, इसलिए स्वतंत्र जांच करवाई जाए। इस केस में सबसे उच्च स्तर के ब्यूरोक्रेट के जरिए जवाब दिया जाना चाहिए। इसके लिए कैबिनेट सेक्रेटरी को नियुक्त करने पर प्राथमिकता से विचार होना चाहिए।
उधर, अन्य पत्रकारों की ओर से पेश वकील अरविंद दत्तर ने कहा कि लोगों की निजता सबसे बड़ी होती है और लोगों की प्राइवेसी का ख्याल रखा जाना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कोर्ट से अपील की है कि पेगासस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर या मौजूदा जज की अध्यक्षता में गठित SIT से करवाई जाए और केंद्र को ये बताने के लिए कहा जाए कि क्या सरकार या फिर उसकी किसी एजेंसी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है? क्या पेगासस स्पाइवेयर का लाइसेंस लिया गया?
आपको बता दें कि खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप का दावा है कि इजराइली कंपनी एनएसओ (NSO) के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। भारत में भी अब तक 300 नाम सामने आए हैं, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।
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