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देश के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज पांच भारतीय भाषाओं में शुरू करने जा रहे हैं पढ़ाई, जानें मोदी ने नई शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने के मौके पर की कौन-कौन सी घोषणाएं - Prakhar Prahari
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देश के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज पांच भारतीय भाषाओं में शुरू करने जा रहे हैं पढ़ाई, जानें मोदी ने नई शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने के मौके पर की कौन-कौन सी घोषणाएं

दिल्लीः देश के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में  पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं तथा इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल डेवलप किया जा चुका है। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कही। मोदी ने गुरुवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिलने के एक साल पूरा होने के मौके पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों, शिक्षकों तथा छात्रों से बात की। इस दौरान उन्होंने दो बड़े ऐलान किए। पहला- गांवों में भी बच्चों को प्ले स्कूल की सुविधा मिलेगी। अब तक यह कॉन्सेप्ट शहरों तक सीमित है। दूसरा-इंजीनियरिंग की बढ़ाई अब 11 भारतीय भाषाओं में भी होगी। इंजीनियरिंग के कोर्स का भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए टूल डेवलप किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि बीते एक साल में आप सभी लोगों, शिक्षकों, प्रिंसिपल और नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में मेहनत की है। कोरोना के इस काल में भी लाखों नागरिकों, शिक्षकों, राज्यों से सुझाव लेकर, टास्क फोर्स बनाकर शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है।

मोदी की महत्वपूर्ण बातेः-

  • पीएम ने कहा कि विद्या प्रवेश प्रोग्राम आज लॉन्च किया गया है। इसके जरिए बड़े शहरों तक सीमित रहने वाला प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट अब गांव-गांव जाएगा। ये प्रोग्राम आने वाले समय में यूनिवर्सल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा और राज्य भी इसे जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे। देश के किसी भी हिस्से में अमीर हो या गरीब, उसकी पढ़ाई खेलते और हंसते हुए और आसानी से होगी।
  • -इंजीनियरिंग कॉलेज हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। साथ ही इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल डेवलप किया जा चुका है।
  • मोदी ने कहा कि एक साल में शिक्षा नीति को आधार बनाकर अनेक बड़े फैसले लिए गए हैं। इसी कड़ी में नई योजनाओं की शुरुआत का सौभाग्य मिला है। ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का महोत्सव बना रहा है। एक तरह से ये नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इम्प्लिमेंटेशन आजादी के महापर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। नई योजनाएं नए भारत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
  • उन्होंने कहा कि हम कितना आगे जाएंगे, कितना ऊंचा जाएंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में कैसी शिक्षा दे रहे हैं, कैसी दिशा दे रहे हैं, इसीलिए मैं मानता हूं कि भारत की नई शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ के बड़े फैक्टर में से एक है।
  • पीएम ने कहा कि हमारे साथ मौजूद युवाओं के सपनों और उम्मीदों के बारे में पूछेंगे तो उनके मन में नयापन और नई ऊर्जा दिखाई देगी। युवा बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार है, वह इंतजार नहीं करना चाहता है।
  • ऑनलाइन एजुकेशन अब एक सहज चलन बन गया है। शिक्षा मंत्रालय ने भी इसके लिए प्रयास किए हैं। मंत्रालय ने दीक्षा प्लेटफॉर्म, स्वयं पोर्टल शुरू किया। पिछले एक साल में 2300 करोड़ से ज्यादा हिट होना ये बताता है कि ये कितना उपयोगी प्रयास रहा है। आज भी हर दिन इसमें 5 करोड़ हिट हो रहे हैं।
  • उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं और दुनिया अपने हिसाब से बनाना चाहता है। उसे एक्सपोजर चाहिए। उसे पुराने बंधनों और पिंजरों से मुक्ति चाहिए। आज छोटे-छोटे गांवों-कस्बों से निकले युवा कैसे-कैसे कमाल कर रहे हैं। इन्हीं दूरदराज इलाकों से आने वाले युवा आज टोक्यो ओलिंपिक्स में देश का झंडा बुलंद कर रहे हैं।
  • नई व्यवस्था में एक ही क्लास और एक ही विषय में जकड़े रहने की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। युवा अपनी रुचि, सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम को चुन सकता है और छोड़ सकता है। कोर्स सिलेक्ट करते समय ये डर नहीं रहेगा कि डिसीजन गलत हो गया तो क्या होगा।
  • उन्होंने कहा कि अब तक ये माना जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश जाना होगा, लेकिन विदेशों से स्टूडेंट भारत आएं, ये हम देखने जा रहे हैं। देश के डेढ़ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में ऐसी व्यवस्था की जा चुकी है। हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च में आगे बढ़ें, इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई है।
  • पीएम ने कहा कि आत्म निर्भर भारत का रास्ता स्किल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी से जाता है। एक साल में 1200 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सैकड़ों कोर्सेज को मंजूरी दी गई। बापू कहा करते थे कि राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों में रिफ्लेक्ट होना चाहिए।
  • उन्होंने बताया कि देश में तीन लाख से ज्यादा बच्चों को सांकेतिक भाषाओं की जरूरत होती है। इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है। छात्र इसे भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। हमारे दिव्यांग साथियों को मदद मिलेगी।
  • उन्होंने कहा कि आज लॉन्च हुआ निष्ठा 0 भी इस दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। देश के शिक्षकों को आधुनिक जरूरतों के हिसाब से ट्रेनिंग मिलेगी। शिक्षकों से कहना चाहता हूं कि इन प्रयासों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।

आपको बता दें कि आज के ही दिन यानी 29 जुलाई 2020 को इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी प्रदान की थी। इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पिछले साल जारी की गई शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6 प्रतिशत हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है।

 

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