संवाददाताः सुशील शर्मा
महेंद्रगढ़ः हरियाणा के महेंद्रगढ़ स्थित हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरसी कुहाड़ ने कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के क्रियान्वय की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने यह बातें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के एक साल पूरा होने पर नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए कही। उन्होंने बताया कि बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन तथा मार्गदर्शन में शिक्षा मंत्रालय द्वारा 34 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद तैयार भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के सफलतम क्रियान्वयन की दिशा में विश्वविद्यालय अग्रसर है।
आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 जुलाई, 2020 को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी और विश्विद्यालय इसके उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि बीते एक वर्ष में कोरोना महामारी की चुनौती के बावजूद विश्वविद्यालय इसके क्रियान्वयन हेतु विस्तृत कार्ययोजना तथा चरणबद्ध परिपालन के प्रारूप के साथ आगे बढ़ रहा है। विश्वविद्यालय की कार्ययोजना के अनुसार आगामी शैक्षणिक सत्र 2021-22 से इसे लागू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं।
कुहाड़ ने बताया कि बीते एक वर्ष में निरंतर चिंतन मंथन के बाद विश्वविद्यालय ने क्रियान्वयन का एक ऐसा प्रारूप तैयार किया है, जिसपर अमल कर शिक्षा नीति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है । नई शिक्षा नीति की आत्मा व इसका ध्येय मुख्य रूप से ऐसी शिक्षा व्यवस्था का विकास करना है, जिसमें अध्ययन सामग्री, संसाधनों का विकास और उनके माध्यम से प्रदान की जाने वाले शैक्षणिक उत्कृष्टता को प्राप्त करना है ।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वारा तैयार नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का रोडमैप हमें शिक्षा नीति के निर्धारित लक्ष्यों को समयसीमा अंतर्गत पाने में मददगार है । बात चाहे विद्यार्थी को विश्वस्तरीय शिक्षा व्यवस्था प्रदान करने की हो, कौशल का विकास की हो तथा नैतिक शिक्षा प्रदान करने कर युवा पीढ़ी को कर्तव्य निष्ठ नागरिक बनाने की हो, सभी उद्देश्य की पूर्ति हमारी कार्ययोजना के माध्यम से संभव है ।
इतना ही नहीं, विश्वविद्यालय का रोडमैप शिक्षण कार्य पूर्ण होने पर विद्यार्थी को इस काबिल बना पाने में सक्षम है कि वह रोजगार के क्षेत्र में सफल हो सके या फिर वह स्वरोजगार विकसित कर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार कर सके। लक्ष्य कठिन है लेकिन जिस तरह से नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया है और उसके क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास हो रहा है, उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं है जब भारत शैक्षणिक मोर्चे पर अपने प्राचीन सभ्यता के महत्त्व का वरन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध अनुसंधान व शैक्षणिक विकास के मोर्चे पर ग्लोबल पावर के रूप में स्थापित होगा।
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन की दिशा में पहले ही दिन से योजनागत रूप से आगे बढ़ना शुरू कर दिया था और इसके लिए जहाँ एक तरफ जुलाई-अगस्त 2020 से ही ऑनलाइन वेबिनार, कार्यशाला, परिचर्चा तथा विशेषज्ञ व्याख्यानों की श्रृंखला जारी है वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में तकनीकी स्तर पर इसके लिए 07 अगस्त, 2020 को एक ऐसी टॉस्क फोर्स का गठन किया था, जिसमें न सिर्फ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षकों को शामिल किया गया बल्कि बाहरी विशेषज्ञों को भी नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का प्रारूप निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय योजनागत रूप से नई शिक्षा नीति के महत्त्वपूर्ण पहलुओं फिर वो चाहे च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम हो, लर्निंग आउटकम की पहचान करना हो, कौशल आधारित शिक्षा हो, बहुविषय तथा बहुविकल्पीय शिक्षा व्यवस्था हो को दृष्टिगत रखते हुए एक ऐसे दस्तावेज के साथ कार्यरत है जोकि शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मौलिक व उपयोगी माध्यम साबित हो रहा है। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन संबंधी प्रारूप में 14 बिंदुओं पर केंद्रित एक ऐसा एकरूपीय दस्तावेज तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से विश्वविद्यालय के सभी विभाग अपने पाठ्यक्रमों के विकास में जुटे हैं। ये 14 बिंदु निम्न हैं-विषय की पृष्ठभूमि, प्रोग्राम ऑउटकम, प्रोग्राम विशिष्ठ परिणाम, स्नातकोत्तर विशेषज्ञता, पाठ्यक्रम का प्रारूप, अधिगम परिणाम सूचकांक, सत्र आधारित पाठ्यक्रम व क्रेडिट का निर्धारण, पाठ्यक्रम आधारित अध्ययन परिणाम, अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया, बेलेंडिड लर्निंग, मूल्याकंन की प्रक्रिया, कीवर्ड्स, संदर्भ तथा परिशिष्ट ।
इन बिंदुओं को आधार मानकर विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न विभाग अपने-अपने पाठ्यक्रमों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार कर रहे हैं और इस प्रक्रिया को भी इस तरह से मूर्त रूप दिया जा रहा है कि शिक्षा नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संशोधनों तथा नए सुझावों के समायोजन हेतु संभावनाएं बनी रहें। इसके लिए विभाग सर्वप्रथम अपने स्तर पर पाठ्यक्रम निर्धारित 14 बिंदुओं के अनुरूप तैयार करता है।
इसके बाद संकाय के स्तर पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जाता है, जिसमें विषय के बाहरी विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा रहा है और उनके द्वारा प्रस्तुत उल्लेखनीय सुझावों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। तीन पीठ इस प्रक्रिया के अंतर्गत पाठ्यक्रम को अंतिम रूप देने हेतु कार्यशालाओं को आयोजन कर चुके हैं। शेष इस दिशा में प्रयासरत हैं। विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद पहले ही आगामी सत्र से नई शिक्षा नीति को लागू करने की दिशा में अपनी मंजूरी प्रदान कर चुकी है और अगस्त माह के अंत तक नए पाठ्यक्रम भी तैयार कर लिए जायेंगे। इस तरह हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय आज शिक्षा नीति के उद्देश्यों व लक्ष्यों को योजनागत रूप से लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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