दिल्लीः कर्नाटक के सियासी नाटक का सोमवार को पटाक्षेप हो गया। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज शाम राज्यपाल थावरचंद गहलोत से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया है, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। गहलोत ने युदियुरप्पा से राज्य के नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को कहा है। येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद सबके जेहन में एक ही सवाल है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कर्नाटक सरकार में खान मंत्री मुरुगेश निराणी राज्य के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं और मंगलवार शाम तक उनके नाम का ऐलान हो सकता है। कल शाम यानी मंगलवार शाम को ही नए मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी के पर्यवक्षक मंगलवार को कर्नाटक जाएंगे तथा वहां विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी। इसके बाद मंगलवार शाम को शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जा सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री को लेकर दिल्ली में सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक के पार्टी प्रभारी अरुण सिंह और गृह मंत्री अमित शाह से नए मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार में खान मंत्री मुरुगेश निराणी और संगठन मंत्री मुकुंद दिल्ली आए हुए हैं। आपको बता दें कि मुर्गेश निराणी लिंगायत नेता हैं और तीन बार से लगातार बगलकोट की विल्गी सीट से विधायक हैं। इसके साथ ही आरएसएस भी उनके अच्छे संबंध हैं। हालांकि येदियुरप्पा राज्य गृह मंत्री बसवराज बोम्मई के सीएम के पक्ष में हैं, जबकि केंद्रीय नेतृत्व मुरुगेश निराणी और प्रह्लाद जोशी में से किसी को सीएम बनाना चाहता है।
वैसे राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सवदी, संगठन महासचिव बीएल संतोष के नाम की भी चर्चा है। हालांकि जोशी ने कहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक इस बारे में उनसे कोई बात नहीं की है जबकि निरानी का कहना है कि पार्टी जो भी आदेश देगी, वह उसका पालन करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय और विधायकों में से होगा। इस हिसाब से कर्नाटक के खनन मंत्री एमआर निरानी तथा गृह मंत्री बसवराज बोम्मई हैं।
आपको बता दें कि येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से आते हैं और यह समुदाय 1990 से बीजेपी का समर्थक रहा है। राज्य की आबादी में लिंगायत समुदाय का हिस्सा करीब 17 प्रतिशत है। कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 90 से 100 सीटों पर लिंगायतों का प्रभाव है। इस वजह से नया मुख्यमंत्री इसी समुदाय से चुनना बीजेपी के लिए मजबूरी है।
येदियुरप्पा इस्तीफे के ऐलान के बाद कहा कि मैं हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरा हूं। उन्होंने कहा कि उन पर पार्टी आलाकमान का कोई प्रेशर नहीं है। मैंने खुद इस्तीफा दिया। मैंने किसी नाम को नहीं सुझाया है। पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करूंगा। कर्नाटक की जनता की सेवा का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया।
आपको बता दें कि येदियुरप्पा सबसे पहले 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने, लेकिन महज सात दिन बाद 19 नवंबर 2007 को ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 30 मई 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते इस बार 4 अगस्त 2011 को इस्तीफा दिया। वह तीसरी बार 17 मई 2018 को मुख्यमंत्री बने और फिर महज छह दिन बाद 23 मई 2018 को इस्तीफा हो गया। इसके बाद चौथी बार 26 जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री बने और ठीक दो साल बाद इस्तीफा दे दिया।
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