दिल्लीः इस समय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो संसद चल रही है। एक ओर जहां मानसून सत्र के दौरान नेता संसद भवन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, वहीं यहां से महज चंद कदमों की दूरी पर ‘किसान संसद’ बैठी है। करीब आठ महीन से अपने हक की खातिर दिल्ली की सीमाओं पर डटे आंदोलनकारी किसान गुरुवार को जंतर मंतर पहुंचे हैं, जहां संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेतृत्व में ‘किसान संसद’ बैठी। ‘किसान संसद’ की शुरुआत उन किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही, जिनकी मृत्यु आंदोलन के दौरान हुई है। हन्नान मोल्लाह को ‘किसान संसद’ का अध्यक्ष और मंजीत सिंह राय को उपाध्यक्ष बनाया गया है।
आंदोलनकारी किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सांसद किसानों के हक में संसद के भीतर आवाज नहीं उठाते हैं, तो चाहे वह किसी भी दल के हों, उनके क्षेत्र में उनका पुरजोर विरोध होगा। वहीं मोल्लाह ने कहा कि आज सबसे पहले 3 कानूनों के पहले कानून एपीएमसी (APMC) यानी कृषि उपज मंडी समिति पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हम संसद से अपील करेंगे कि ‘किसान संसद’ की बात मानकर कानून खारिज करे।
उन्होंने कहा कि संसद किसानों की बात नहीं सुन रही है, इसलिए सभी सांसदों को हमने चिट्ठी दिया है कि हमारे वोट से जीते हैं तो ऐसा करें कि हम वोट देते समय याद रखें। ईमानदार हैं तो हमारा सवाल उठाएं। आज हम यहां आए।
किसान आंदोलन की अहम जानकारियां
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