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दिल्लीः कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति 28 जुलाई को निर्धारित है। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के दौरान इसदौरान समिति पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर फोन टेपिंग करने के आरोपों को लेकर  गृह मंत्रालय सहित अन्य विभागों के सरकारी अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक 28 जुलाई को निर्धारित है और इस बैठक का एजेंडा ‘नागरिक डेटा सुरक्षा एवं निजता’ है। इस समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ बीजेपी से हैं । समिति ने इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है।

सूत्रों ने बताया कि बैठक में पेगासस फोन टेपिंग का मामला निश्चित तौर पर उठेगा और अधिकारियों से जानकारी मांगी जाएगी। पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल करते हुए ‘जासूसी’ का विषय बन गया है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को संसद में और बाहर घेरने की कोशिश कर रहा है। इसके कारण संसद के मानसून सत्र में दो दिन विपक्षी सदस्यों ने भारी शोर शराबा किया। थरूर ने पूरे कथित जासूसी प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता बताया था और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था।

वहीं सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को निराधार बताया था। उन्होंने सोमवार को  संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले लगाए गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास बताया था।

स्वत: संज्ञान के आधार पर लोकसभा में दिए गए बयान में वैष्णव ने कहा था कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है।

आपको बता दें कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने दावा किया है कि आमतौर पर सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस  के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, राहुल गांधी सहित विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक मोबाइल नंबर को हैक किया गया था।

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