केंद्र सरकार ने कहा है कि देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी मौत नहीं हुई है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। उन्होंने इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रिपोर्ट का हवाला दिया।
उन्होंने सदन में बोलते हुए कहा कि हमने किसी राज्य को कोरोना से जुड़े आंकड़ों में छेड़छाड़ करने का दबाव नहीं बनाया। केंद्र सरकार का काम सिर्फ डेटा को राज्यों से इकट्ठा करके पब्लिश करने का है। स्वास्थ्य मंत्री कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल द्वारा उठाए गए सवाल पर जवाब देते हुए यह बातें कहीं। वेणुगोपाल ने सदन में कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सड़कों और अस्पतालों में बड़ी तादाद में कोरोना मरीजों की मौत हुई है और ऐसा ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसा हुआ है।
कोरोना की तीसरी लहर पर के बारे में संसद में चर्चा करते हुए मंडाविया ने कहा कि 130 करोड़ लोगों के साथ सभी राज्य सरकारें भी संकल्प लें कि हम देश में तीसरी लहर नहीं आने देंगे। हमारा संकल्प और प्रधानमंत्री मोदी का मार्गदर्शन हमें तीसरी लहर से बचा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह समय एकजुट होकर काम करने का है। केंद्र सरकार ने किसी राज्य से ये नहीं कहा कि आपने काम किया या नहीं किया। हम इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहते। मंडाविया ने कहा कि जायडस कैडिला ने बच्चों पर टीके का परीक्षण शुरू कर दिया है और एक कंपनी के नजल (नाक से दवा) का भी परीक्षण चल रहा है। जायडस कैडिला के डीएनए टीके का तीसरा परीक्षण पूरा हो गया है। काेरोना नियंत्रण के लिए विदेश से भी टीकों का आयात किया जा रहा है और देसी टीके के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई कंपनियों को तकनीक हस्तांतरित की जा रही है। हमें हर महीने सीरम इंस्टीट्यूट से कोवीशील्ड के 11-12 करोड़ डोज मिल रहे हैं।
वहीं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था राज्यों का विषय है। इसके बाद भी केंद्र सरकार ने उनकी बहुत मदद की है। सभी राज्यों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर में रोजाना 3095 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती थी, जबकि दूसरी लहर में रोजाना 9000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी।