श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर ने प्रशासन ने शनिवार को बड़ी कार्रवाऊ करते हुए आतंकवादियों के मददगार 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में चार अनंतनाग के, तीन बडगाम के तथा एक-एक क्रमशः बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा के हैं। इनमें चार शिक्षा विभाग के, दो पुलिस कॉन्स्टेबल, तथा एकःएक क्रमशः कृषि, कौशल विकास, बिजली, एसकेआईएमएस (SKIMS) और स्वास्थ्य विभाग के हैं। अधिकारियों के मुताबिक, ये लोग देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए थे। ये लोग आतंकवादियों को गुप्त सूचनाएं मुहैया कराने के साथ ही असद तथा फंड मुहैया करा रहे थे।

बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में आतंकवादियों में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैयद सलाउद्दीन के दो बेटे भी शामिल हैं। आपको बता दें कि सैयद सलाउद्दीन कश्मीर का रहने वाला है, लेकिन मौजूदा समय में वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रह रहा है और वहीं से आंतकवादी गतिविधियां संचालित कर रहा है। वह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी हेड है, जिसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर तैयार किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश प्रशासन से जुड़े मामलों की जांच के लिए गठित समिति ने इन सभी को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। सूत्रों ने बताया कि मोस्ट वांटेड आतंकवादी सैयद सलाउद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ टेरर फंडिंग में शामिल थे और एनआईए (NIA) यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी  दोनों पर नजर रख रही थी। ये दोनों हिजबुल मुजाहिदीन के लिए हवाला के जरिए रकम जुटाने और ट्रांसफर करने में शामिल पाए गए।

आपको बता दें कि 45 वर्षीय शाहिद यूसुफ को एनआईए ने 2017 में गिरफ्तार किया था।पकड़े जाने के समय वह कृषि विभाग में काम करता था। एनआईए ने कहा था कि शाहिद फरार आरोपी एजाज अहमद भट से इंटरनेशनल वायर मनी ट्रांसफर के जरिए फंड हासिल करता था।

वहीं सलाउद्दीन के दूसरे बेटे सैयद शकील यूसुफ को एनआईए,सीआईपीएफ तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2018 में गिरफ्तार किया था। पकड़े जीने के समय वह वह श्रीनगर के एक सरकारी अस्पताल में लैब टैक्नीशियन था। उस पर 2011 के टेरर फंडिंग मामले में अपने पिता से पैसे लेने का आरोप है। एनआईए ने दावा किया था कि पैसे पाकिस्तान से ट्रांसफर किए गए थे और उसका उपयोग आतंकवाद वित्तपोषण में किया गया था।

प्रशासन के साथ सुरक्षाबलों ने भी शनिवार को आतंक पर चोट की। अनंतनाग के रानीपोरा में हुई मुठभेड़ में 3 आतंकियों को मार गिराया गया। IG विजय कुमार ने बताया कि ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों को रानीपोरा में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया गया।

तलाशी के दौरान आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चला दीं। जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी मारे गए। मारे गए आतंकवादियों में से एक आरिफ हाज़म जून 2019 में प्रादेशिक सेना के हवलदार मंजूर बेग की हत्या में शामिल था।

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