शिमलाः हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। वह 87 साल थे और लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने आज सुबह 3:40 बजे शिमला के आईजीएमसी (IGMC) यानी इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज  अस्पताल में आखिरी सांस ली। यहां वह करीब दो महीने से भर्ती थे। सांस लेने में तकलीफ के बाद सोमवार से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह को दो बार कोरोना हुआ। पहली बार 12 अप्रैल और दूसरी बार 11 जून को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। आईजीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जनक राज ने बुधवार कहा था कि सिंह की हालत गंभीर, लेकिन स्थिर बनी हुई है।

जन्म 23 जून 1934 को जन्मे वीरभद्र सिंह का के पिता पदम सिंह बुशहर रियासत के राजा थे। वह 1962 में पहली बार महासू सीट से लोकसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद वे 1967, 1971, 1980 और 2009 में भी लोकसभा के लिए चुने गए। वीरभद्र पहले रोहड़ू सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। बाद में रोहड़ू सीट आरक्षित हुई तो उन्होंने 2012 में शिमला ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा। 2017 में उन्होंने यह सीट बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए छोड़कर खुद अर्की से चुनाव लड़े। मौजूदा समय में वह अर्की सीट से विधायक थे।

सिंह ने 1983 से 1985 तक पहली बार, 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 तक तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन के लिए चौथी बार, 2003 से 2007 तक पांचवीं बार और 2012 से 2017 तक छठी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

वीरभद्र सिंह यूपीए सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री भी रहे। उनके पास सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय का भी जिम्मा था।वह इंदिरा गांधी की सरकार में दिसंबर 1976 से 1977 तक केंद्रीय पर्यटन और विमानन राज्य मंत्री रहे। वे 1982 से 1983 तक केंद्रीय उद्योग राज्यमंत्री रहे थे।

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