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राष्ट्रीय

ग्राम सभाओं को मिली वन संपदा का अधिकार

संवाददाताः शोभा ओझा

दिल्लीः केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा तथा  केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को जनजाति समाज को वनों पर अधिकार देने की घोषणा करते हुए एक संयुक्त पत्रक जारी किया। इसका प्रमुख उद्देश्य वन अधिकार कानून के तहत सामुदायिक वन संसाधनों का अधिकार ग्राम सभा को देना है।

वनवासी कल्याण आश्रम और जनजाति समाज पिछले कई वर्षों से इसकी मांग कर रहा था। केंद्र सरकार के निमंत्रण पर दिल्ली आए कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. एचके नागू, जनजाति हितरक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर, देवगिरी-महाराष्ट्र के प्रदेशाध्यक्ष चेतरामजी पवार तथा गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश,  झारखंड तथा असम के जनजाति सामाजिक नेता इस महत्वपूर्ण समारोह के साक्षी रहे।

केंद्र सरकार की इस पहले के लिए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम केंद्र सरकार विशेषकर वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रति आभार व्यक्त किया है।

आपको बता दें कि अर्जुन मुंडा ने कुछ ही माह पूर्व ट्वीट कर कहा था कि वन पर्यावरण मंत्रालय के साथ मिलकर आगामी दो वर्षों मे सामुदायिक वनों पर अधिकार देने का एक अभियान चलाएंगे।

इस कानून का क्रियान्वयन करने का कार्य जनजाति विभाग का है, जो इसका नोडल विभाग है। केंद्रीय जनजाति मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस संबंध में समय-समय पर उचित मार्गदर्शक बिंदु भेजे हैं। किंतु अनेक राज्यों में जनजाति मंत्रालय के साथ वन मंत्रालय का तालमेल नहीं होने के कारण जनजाति समाज आज भी वन संसाधनों से वंचित है।

वन अधिकार कानून-2006 की मनमानी व्याख्या के कारण अनेक राज्यों ने जनजाति समाज को अपने परंपरागत वन क्षेत्र के पुनर्निर्माण, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन के अधिकारों से वंचित रखा। इसी कारण 2007 से अब तक इस सामुदायिक वन अधिकार का क्रियान्वयन 10 प्रतिशत भी नहीं हुआ है।

महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों ने इस सामुदायिक वन अधिकार – CFRR (Community Forest Resource Right) को देते हुए ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन क्षेत्र की सुक्ष्म कार्य योजना बनाने हेतु वित्तीय सहयोग प्रदान किया है। वहीं महाराष्ट्र में ग्राम सभाओं को सक्षम करते हुए सामुदायिक वन प्रबंधन का एक डिप्लोमा कोर्स भी प्रारंभ किया है। ओडिशा एवं महाराष्ट्र में जिला स्तरीय कनव्हर्जन्स कमिटी स्थापित करते हुए सामुदायिक वन क्षेत्र के पुनर्निर्माण एवं संवर्धन हेतु ग्राम सभा को तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग भी देना शुरू किया है। आज की पहल से देश के अन्य राज्यों में भी अब यह सामुदायिक अधिकार देने का कार्य गति पकड़ेगा।

 

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