लंबे समय तक काम, मतलब जिंदगी छोटी

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नई दिल्ली.
लंबे समय तक काम करना हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। डब्ल्यूएचओ और आईएलओ की मानें तो वर्ष 2016 तक हर सप्ताह जिसने कम से कम 55 घंटे काम किया, वैसे 398000 लोगों की हार्ट स्ट्रोक से मौत हो गयी। जबकी, अन्य हृदय संबंधी बीमारी से 347000 मरीजों की मौत हुई। यह आंकड़ा महज 16 वर्ष में और बढ़ गया। 2000 से 2016 के बीच, हृदय रोग से मरने वालों की संख्या 42 प्रतिशत और स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या 19 प्रतिशत अधिक बढ़ गयी।

आपको बता दें कि यह सभी केस 45-74 वर्ष की आयु के बीच वाले लोगों में देखने को मिली। जिसमें ज्यादातर मौत 60-79 वर्ष की उम्र के लोगों की हुई। दरअसल, ज्यादातर मौत कार्य संबंधी बढ़ते बोझ और टेंशन से हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो किसी व्यक्ति को सप्ताह में ज्यादा से ज्यादा 35-40 घंटे ही कार्य करना चाहिए। 55 से अधिक घंटे तक काम करने वालों में हार्ट स्ट्रोक का खतरा 35 प्रतिशत तो हृदय रोग का खतरा 17 प्रतिशत अधिक बढ़ जाता है। 2016 में हार्ट स्ट्रोक या हृदय संबंधी बीमारी से करीब 745,000 लोगों की जान गयी थी। हैरान करने वाली यह है कि वर्ष 2000 की तुलना में मौत के आंकड़ें 29 प्रतिशत अधिक बढ़े है।

लम्बे समय तक बैठने से विभिन्न अंगों को नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक बैठे रहने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या हो सकती है और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। बिल्कुल नहीं या बहुत कम बैठने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा समय तक बैठने वालों को इन बीमारियों के होने की दोगुनी आशंका होती है।

कई अध्ययनों से इस बात की भी संभावना है कि लंबे समय तक बैठे रहने से कोलोन कैंसर को भी दावत मिलती है। इतना ही नहीं, किन्हीं कारणों से स्तन और अन्तर्गर्भाशयकला(एन्डोमेट्रीअल) कैंसर होने का भी खतरा बना रहता है।

जब आप खड़े होते हैं या किसी भी गतिविधि में सक्रिय होते हैं तो मांसपेशियां सक्रिय बनी रहती हैं, लेकिन जब आप केवल बैठे रहते हैं तो पीठ और पेट की मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं। इसी स्थिति के चलते आपके कूल्हे और पैरों की मांशपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। लंबे समय तक एक स्थिति में बैठने का परिणाम यह भी हो सकता है कि आपकी रीढ़ की हड्डी भी पूरी तरह से सीधी न रह सके।

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