दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 जुलाई तक वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम लागू करने का निर्देश दिया है। कोरोट् ने मंगलवार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को राहत देने के लिए डेडलाइन तय कर दी और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे 31 जुलाई तक वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम लागू करें। साथ ही कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह एनआईसी (NIC) के साथ मिलकर असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल डेवलप करे ताकि उन्हें स्कीमों का फायदा दिया जा सके।

कोर्ट ने राज्यों से देश में महामारी से पनपे हालात खत्म होते तक कम्युनिटी किचन चलाने का निर्देश दिया। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि हम चाहते हैं कि कोई मजदूर और उसका परिवार भूखा न रहे।

पिछली सुनवाई में अदालत के सामने बंगाल ने कहा था कि आधार के सीडिंग इश्यू को लेकर हम अभी वन नेशन-वन राशन कार्ड अपने राज्य में लागू नहीं कर सके हैं। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी और कहा था कि इस मामले में कोई भी बहाना नहीं बनाना चाहिए। बंगाल को ये स्कीम लागू करनी चाहिए, क्योंकि ये उन मजदूरों की भलाई के लिए है, जिन्हें हर राज्य में राशन मिलेगा। सभी राज्यों को ये स्कीम आवश्यक तौर पर लागू करनी चाहिए।

कोर्ट ने मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए सॉफ्टवेयर बनाने में देरी पर भी नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था कि इससे देशभर का एक डेटाबेस तैयार हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि सॉफ्टवेयर के न होने पर केंद्र नवंबर तक उन मजदूरों तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत फ्री राशन कैसे पहुंचाएगा, जिनका राशन कार्ड ही नहीं है? अभी भी सॉफ्टवेयर नहीं बन पाया है? अभी भी आपको तीन से चार महीने क्यों चाहिए?

कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों के रोजगार और राशन को लेकर पहले हुई सुनवाई में बड़ी टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आने वाले जिलों में सामूहिक रसोई खोलें ताकि मजदूर और उनके परिवार दो वक्त का खाना खा सकें। प्रवासी श्रमिक बिना पैसे और रोजगार के कैसे गुजर-बसर करेंगे? फिलहाल कुछ तो सहारा दिया जाना चाहिए। आपको कठोर सच्चाईयों को समझना ही होगा। तुरंत राहत को तुरंत दिया जाना जरूरी है।

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