Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
मोदी आज कश्मीर के नेताओं के साथ करेंगे बैठक, जानिए की कश्मीर मुद्दे पर इंदिरा, अटल, मनमोहन तथा मोदी के अब तक के प्रयासों के क्या रहे हैं नतीजे - Prakhar Prahari
Subscribe for notification

मोदी आज कश्मीर के नेताओं के साथ करेंगे बैठक, जानिए की कश्मीर मुद्दे पर इंदिरा, अटल, मनमोहन तथा मोदी के अब तक के प्रयासों के क्या रहे हैं नतीजे

दिल्लीः जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करीब दो साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वहां के नेताओं के साथ बैठक करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के भविष्य का रोडमैप तैयार करने पर गहन विचार-विमर्श करेंगे। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 और 35ए हटाने के साथ ही राज्य को जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख नाम से दो केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया था।

पीएम मोदी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में जम्मू-कश्मीर के आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं को आमंत्रित किया गया है। केंद्र की ओर से पीएम के साथ बैठक के लिए एनसी के नेता डॉक्टर फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला,काग्रेस के गुलाम नबी आजाद, तारा चंद, जीए मीर, पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती, पीपूल्स कॉन्फ्रेंस के सजाद गनी लोन, मुजफ्फर हुसैन बेग, अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी,बीजेपी के रवींद्र रैना, निर्मल सिंह और कवींद्र गुप्ता, सीपीआई (एम) के एमवाई तारिगामी, नेशनल पैंथर्स पार्टी के प्रोफेर भीम सिंह को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है।

हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब केंद्र सरकार ने कश्मीर की समस्या को सुलझाने की पहल की है। अतीत में भी कांग्रेस हो या बीजेपी की सरकारों ने काफी शिद्दत ऐसे प्रयास किए थे, लेकिन सवाल उठता है कि उनका हासिल क्या हुआ? आइए जानते हैं इंदिरा से लेकर मोदी तक केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर को लेकर अब तक की गई पहलों के बारे में –

शेख अब्दुल्ला 1953 से ही भारत विरोध के कारण जम्मू-कश्मीर में बहुत लोकप्रिय हो गए थे। वह भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर के साथ 1953 से पहले जैसा वर्ताव करने पर दबाव डालते हुए प्रदेश में जनमत संग्रह करवाने की मांग करते थे, लेकिन, जब 1971 के युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) के खिलाफ युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) के सहयोग के लिए सेना भेजी और जब युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान विजयी हो गया तो इंदिरा का कद काफी ऊंचा हो गया। फिर शेख अब्दुल्ला समझ गए कि अब वह भारत सरकार पर डाल पाने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी के साथ समझौता कर लिया। समझौते पर शेख की तरफ से उनके प्रतिनिधि मिर्जा अफजल बेग जबकि इंदिरा की तरफ से उनके दूत जी पार्थसारथी ने समझौते पर दस्तखत किया। इस समझौते ने 17 साल बाद शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री की कुर्सी दिला दी।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2001-02 में पूर्व रक्षा मंत्री केसी पंत के नेतृत्व में एक कमिटी का गठन किया। उस वक्त कश्मीर में हिंसा का दौर चरम पर पहुंच चुका था। कश्मीरी विद्रोहियों को पाकिस्तान के आंतकवादी संगठनों का सक्रिय समर्थन प्राप्त था। ऐसे वक्त में बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार की अगुवाई कर रहे वाजपेयी ने पंत को बातचीत का रास्ता निकालने के लिए चुना। पंत ने अपनी सिफारिश में कहा कि कश्मीर में सुरक्षा बलों की कम-से-कम तैनाती की जाए और राज्य को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता दी जाए।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अगले ही वर्ष 2002 में तत्कालीन कानून मंत्री अरुण जेटली को जम्मू-कश्मीर को और अधिक अधिकार दिए जाने के विकल्प ढूंढने की जिम्मेदारी सौंप दी। मशहूर वकील राम जेठमलानी के नेतृत्व में एक कश्मीर कमिटी का गठन किया गया, जिसका काम 2002 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों से पहले वहां के अलगाववादियों से बातचीत करना था। हालांकि, इस समिति के गठन की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी। बहरहाल, चुनावों के बाद पीडीपी और कांग्रेस पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई। पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने।

जनवरी 2004 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री एलके आडवाणी ने अलगावादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरम धड़े के साथ बातचीत की, जिसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस बातचीत की मध्यस्थता की थी। एनडीए 2004 का लोकसभा चुनाव हार गया और कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) केंद्र की सत्ता में आ गई।

5 सितंबर, 2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। फिर 14 जून, 2006 को उनकी पीपल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन के नेतृत्व में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ मीटिंग हुई। 17 फरवरी, 2006 को प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के लीडर यासिन मलिक की अगुवाई वाले एक और प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। डॉ. सिंह के कार्यकाल में मुख्यधारा के कश्मीरी राजनीतिक दलों के साथ तीन गोलमेज सम्मेलन हुए, लेकिन, विभिन्न मुद्दों पर मतभेद के कारण इनका कोई नतीजा नहीं निकल सका।

केंद्र की यूपीए सरकार ने 2010 में एक समिति का गठन किया था। दिलीप पडगांवकर, एमएम अंसारी और राधा कुमार की इस समिति ने जम्मू-कश्मीर को ज्यादा अधिकार दिए जाने की सिफारिश की जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया।

फिर 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए केंद्र की सत्ता में दोबारा आया तो 2017 में पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न पक्षों से बात करने की जिम्मेदारी दी। सरकार ने शर्मा को कैबिनेट सेक्रटरी का दर्जा देकर कहा गया कि वह जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों, विभिन्न संगठनों, संबंधित व्यक्तियों के साथ बातचीत करें।

केंद्र सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35ए वापस ले लिया और प्रदेश से लद्दाख को अलग करके दो केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया। इसके साथ ही, शर्मा की पहल पर विराम लग गया।

admin

Recent Posts

कांग्रेस को समझ आया, झूठे वादे आसान नहीं: मोदी

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः चुनावी वादों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग जारी है। इस मसले…

3 days ago

अब 60 दिन पहले तक ही होगी ट्रेन टिकट की एडवांस बुकिंग, कॉमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ 62 रुपए तक महंगा, जानें 01 नवंबर से हुए बड़े बदलाव

दिल्लीः रेलवे टिकट की एडवांस बुकिंग अब आप 60 दिन पहले तक कर सकेंगे। पहले ये सुविधा 120 दिन पहले…

4 days ago

जहरीली हुई दिल्ली की हवा, एक्यूआई पहुंचा 400, जानें क्या है खतरा और उपाय

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। दिल्ली में देर रात…

4 days ago

जब भगवान श्रीकृष्ण ने चूर किया था इंद्र का घमंड, जानें कब है गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिल्ली: सनातन धर्म में पांच दिवसीय दीपोत्सव का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन से शुरू होने वाली दिपोत्सव का…

4 days ago

कई तरह के लाभ की होगी प्राप्त, भाई-दूज के दिन बस कर लें ये उपाय

दिल्लीः पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भाई-दूज के साथ होता है। यह पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और…

5 days ago

31 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा, 01 नवंबर को स्नान-दान की अमावस्या, 02 को गोवर्धन पूजा और 03 को भाई दूज

दिल्लीः मंगलवार, 29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपोत्सव शुरू रहा है। आपको बता दें कि इस साल दीपोत्सव 05…

1 week ago