Coronavirus
सांकेतिक तस्वीर

दिल्लीः देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर भले ही ढलान पर हो, लेकिन इसके डेल्टा प्लस वैरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है। देश में कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। देश के विभिन्न हिस्सों में इससे ग्रसित मरीजों की संख्या अब 40 तक पहुंच गई है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक देश में कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पीड़ित मरीजों की संख्या 40  हो गई है, जिनमें से सबसे अधिक मरीज महाराष्ट्र में पाए गए हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि देश में अब तक चार राज्यों- महाराष्ट्र, केरल, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने दस्तक दे दी है। भारत उन दस देशों में से एक है, जहां अब तक ‘डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक दुनिया के 80 देशों में डेल्टा स्वरूप का पता चला है। इसे लेकर सबसे डरने वाली बात यह है कि यह डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और इम्युनिटी दोनों को चकमा दे सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) ने सूचना दी थी कि डेल्टा प्लस स्वरूप, वर्तमान में चिंताजनक स्वरूप (वीओसी) है, जिसमें तेजी से प्रसार, फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने और ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रतिक्रिया’ में संभावित कमी जैसी विशेषताएं हैं। कोरोना वायरस का ‘डेल्टा प्लस स्वरूप भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में मिला है।

आपको बता दें कि भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गठित किया है। आईएनएसएसीओजी वायरस के नए स्वरूप तथा महामारी के साथ उनके संबंधों का पता लगा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि मोटे तौर पर, दोनों भारतीय टीके- कोविशील्ड और कोवैक्सीन, डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन वे किस हद तक और किस अनुपात में एंटीबॉडी बना पाते हैं, इसकी जानकारी बहुत जल्द साझा की जाएगी।

कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट सबसे पहले इस साल मार्च में यूरोप में सामने आया था, लेकिन इसे 13 जून को पब्लिक डोमेन में लाया गया था। यह नया स्वरूप डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (बी.1.617.2) में उत्परिवर्तन से बना है।

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