लखनऊः योगी आदित्यनाथ यूपी की राजनीति में अपनी बादशाहत कामय रखने  में एक बार फिर सफल हुए हैं। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले प्रदेश बीजेपी ने संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने शनिवार को एक प्रदेश उपाध्यक्ष, दो प्रदेश मंत्री (सचिव) और सात  मोर्चा अध्यक्ष नियुक्त किए हैं।

इसके तहत प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के भरोसेमंद रहे रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एवं विधान परिषद सदस्य (MLC) अरविंद कुमार शर्मा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। आपको बता दें कि सियासी गलियारों में पिछले कुछ समय से शर्मा को संगठन और सरकार में जगह दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं।

18 सालों तक मोदी के साथ साये की तरह काम करने वाले शर्मा वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं। राजनीति में उनकी एंट्री भी धमाकेदार रही। पहले उन्हें बीजेपी में शामिल कराया गया और फिर अगले दिन ही उन्हें एमएलसी का टिकट भी थमा दिया गया। उसी समय से अटकलें थीं कि शर्मा को यूपी में कुछ बड़ा पद दिया जाएगा। फिरयोगी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा शुरू हुई, उसमें उन्हें डिप्टी सीएम का दावेदाद भी बताया गया, लेकिन योगी के एक मास्टर स्ट्रोक ने सारी कहानी ही बदल दी।

यूपी की राजनीति को लेकर पीएम मोदी को दूसरी बार संघ के आगे  झुकना पड़ा है। इससे पहले जब यूपी का सीएम चुनने की बारी आयी थी तो बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं मोदी के करीबी माने जाने वाले मनोज सिन्हा को यूपी का सीएम बनाए जाने की काफी अटकलें चलीं थीं। यहां तक कि मनोज सिन्हा को संसद में भी यूपी का नया मुख्यमंत्री बनाए जाने की बधाई भी दे दी गई थी, लेकिन आखिरी वक्त में संघ ने योगी के नाम पर मुहर लगा दी थी।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक योगी पर पिछले दो महीनों से  शर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का दबाव था, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थे। अंदरूनी खींचतान की खबरों के बीच संघ के सरकार्यवाह चार दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंचे थे।, लेकिन लखनऊ में रहने के बावजूद योगी ने उनसे मुलाकात नहीं की थी। इससे नाराज बीजेपी संगठन और संघ ने भी योगी को दिल्ली में तलब किया। योगी दिल्ली गए और पीएम मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर लखनऊ लौट आए।

सूत्रों का कहना है कि शर्मा को मंत्रिमंडल में लेने का दबाव बढ़ने लगा तो सीएम योगी ने दबाव की राजनीति के तहत अपना मास्टरस्ट्रोक खेला। उन्होंने संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के सामने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली थी। योगी ने संघ से कहा कि जब उनके पास गृह मंत्रालय ही नहीं रहेगा तो वह सीएम किस काम के? फिर उन्होंने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं। योगी के इस कदम से संघ भी बैकफुट पर आ गया और शर्मा को मंत्रिमंडल की बजाए संगठन में ही फिट करने पर सहमति बनी। इसके लिए संघ ने पीएम मोदी को भी राजी कर लिया।

यूपी बीजेपी ने शनिवार को सात विभिन्न मोर्चों के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा भी की। इनमें प्रियांशु दत्त द्विवेदी (फर्रूखाबाद) को युवा मोर्चा, गीता शाक्य राज्यसभा सांसद (औरैया) को महिला मोर्चा, कामेश्वर सिंह (गोरखपुर) को किसान मोर्चा, नरेन्द्र कश्यप पूर्व सांसद (गाजियाबाद) को पिछड़ा वर्ग मोर्चा, कौशल किशोर सांसद को अनुसूचित जाति मोर्चा, संजय गोण्ड (गोरखपुर) को अनुसूचित जनजाति मोर्चा तथा कुंवर बासित अली (मेरठ) को अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

 

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