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सरकार का सख्त रूखः संसदीय समिति ने फेसबुक से कहा, आना तो पड़ेगा फिजिकली ही, भेज दीजिए अधिकारियों की सूची, करवा देंगे वैक्सीनेशन - Prakhar Prahari
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सरकार का सख्त रूखः संसदीय समिति ने फेसबुक से कहा, आना तो पड़ेगा फिजिकली ही, भेज दीजिए अधिकारियों की सूची, करवा देंगे वैक्सीनेशन

दिल्लीः केंद्र सरकार ने नए आईटी (IT) नियमों को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के खिलाफ सख्त रूख अख्तिया कर लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं तिरुवनंतपुरम से सांसद कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने शनिवार को फेसबुक को जोरदार फटकार लगाई।

दरअसल, फेसबुक ने कंपनी की कोविड पॉलिसी का हवाला देते हुए संसदीय समित के समक्ष अगली पेशी में फिजिकली उपस्थित होने की बजाय वर्चुअली शामिल होने का अनुरोध किया था। इस पर समिति ने फेसबुक को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अपने अधिकारियों को भेजिए, हम वैक्सीन लगवा देंगे।

फेसबुक ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर की अवधि के दौरान कंपनी के नियम के मुताबिक अधिकारियों को किसी भी मीटिंग में फिजिकली शामिल होने की मनाही है। मीटिंग वर्चुअली ही करने के निर्देश हैं, इसलिए समिति से अनुरोध है कि हमें वर्चुअली पेश होने की इजाजत दी जाए। इस पर समिति ने फेसबुक को फटकार लगाते हुए कहा कि कोई भी मीटिंग ऑनलाइन नहीं हो सकती। इसलिए फेसबुक के अधिकारियों को शारीरिक रूप से मौजूद होना होगा। साथ ही समिति ने फेसबुक के उन अधिकारियों की सूची मांगी, जिन्हें कंपनी समिति के सामने भेजना चाहती है। समिति के अध्यक्ष थरूर ने कहा कि समिति ऐसे अधिकारियों का वैक्सीनेशन करवाएगी और आने के लिए पर्याप्त समय भी देगी।

समिति ने यह भी कहा है कि गूगल, यूट्यूब, फेसबुक और अन्य कंपनियों को भी समिति के सामने फिजिकली आना होगा। हालांकि, अभी इन कंपनियों को बुलाने को लेकर कोई निश्चित तारीख तय नहीं हो सकी है।

इससे पहले ट्विटर के प्रतिनिधि शुक्रवार को सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति के सामने पेश हुए थे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुआई वाली संसदीय समिति ने ट्विटर को अपने प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर तलब किया था। इस दौरान ट्विटर इंडिया के लीगल विंग से आयुषी कपूर और पॉलिसी विंग की शगुफ्ता कामरान ने अपना पक्ष रखा था।

पेशी के दौरान समिति ने ट्विटर के अधिकारियों से पूछा कि क्या आप देश के कानून का पालन करते हैं? इस पर ट्विटर के प्रतिनिधियों ने कहा कि हम अपनी पॉलिसी को फॉलो करते हैं, जो देश के कानून के अनुसार है। इस पर समिति ने आपत्ति जताते हुए तल्ख लहजे में कहा कि हमारे यहां देश का कानून सबसे बड़ा है, आपकी पॉलिसी नहीं।

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