पटनाः एलजेपी (LJP) यानी लोक जनशक्ति पार्टी में पड़ी फूट के बाद पहली बार चिराग पासवान बुधवार को मीडिया के सामने आए। पटना में उन्होंने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपने चाचा पशुपति पारस पर कई आरोप लगाए हैं।
चिराग ने नीतीश हमला बोलते हुए कहा, “हमलोगों ने गठबंधन से अलग होकर मजबूती से चुनाव लडा। चुनाव से पहले जब पापा (रामविलास पासवान) अस्पताल में थे तब भी जेडीयू के कुछ लोग मेरी एलजेपी को तोडने की कोशिश कर रहे थे। मुझे याद है जब पापा आईसीयू (ICU) यानी गहन चिकित्सा कक्ष में थे तब भी उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं से बातचीत में कहा था कि मीडिया में कुछ लोग इस तरह की भ्रामक खबरें आ रही हैं कि पार्टी टूट रही है। उन्होंने चाचा को भी इस संदर्भ में कहा था।“
इस दौरान उन्होंने अपने चाचा सहित पांचों सांसदों को रणछोड़ करार दिया और कहा कि पार्टी में कुछ लोग संघर्ष के रास्ते पर चलने को तैयार नहीं थे। वे चाहते थे कि सुरक्षित राजनीति करते रहें। उन्होंने कहा कि मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि यदि बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी एक साथ मिलकर बिहार चुनाव में उतरती तो लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा में भी एकतरफा परिणाम आते, लेकिन उस परिणाम के लिए मुझे नीतीश कुमार के सामने नत्मस्तक होना पड़ता।
चिराग ने कहा, “मैंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डॉक्यूमेंट बिहार के हर जिले से सुझाव लेकर तैयार किया था। उसे स्वीकारने से इनकार कर दिया गया। किसी भी गठबंधन में इस तरह से काम नहीं होता है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से ही सरकारें बनती और चलती हैं। मुझे सात निश्चय पर भरोसा नहीं है। मैंने पार्टी के समर्थन से यह निर्णय लिया था। मेरे चाचा सहित जिन लोगों को संघर्ष की राजनीति नहीं करनी थी, उन लोगों ने उस दौरान भी इसका विरोध किया था। मेरे चाचा ने चुनाव प्रचार में भी कोई भूमिका नहीं निभाई।“
उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान मेरी पार्टी के कई सांसद अपने परिवार वालों को चुनाव जिताने में लगे थे। उन्होंने कहा कि वीणा देवी ने अपनी बेटी और महबूब अली कैसर के बेटे दूसरे गठबंधन से चुनाव में उतरे थे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान जिस तरह से पार्टी के नेताओं की भूमिका होनी चाहिए थी, वैसी नहीं थी। इसलिए पूरी संभावना थी कि आज नहीं तो कल पार्टी में ये सवाल उठ सकते हैं। जब चुनाव समाप्त हुए तो कोरोना के चलते हमने कुछ दिनों के लिए तमाम राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी।
चिराग ने अपनी सेहत का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे टाइफायड भी हो गया। मुझे रिकवर होने में करीब 40 दिन लगे। उन्होंने कहा कि जब मैं बीमार था तभी मेरी पीठ पीछे पूरा षडयंत्र रचा गया। इस बात का मुझे दुख है। मैंने निरंतर प्रयास की कि मैं अपने चाचा से बात करूं। मुझे होली के दिन भी पापा के नहीं होने के चलते अकेलेपन का अहसास हुआ। फिर मैंने चाचा को पत्र भी लिखा, लेकिन संवादहीनता बना रहा। मैंने चाचा से बात कर पार्टी और परिवार को बचाने का प्रयास किया। मेरी मां ने भी बात करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। मैंने दो दिन पहले भी उनके घर जाकर बात करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि मैंने कल पार्टी की मीटिंग बुलाई और अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ लोगों को निलंबित किया। मैंने पार्टी के संविधान के तहत कार्रवाई की।
उन्होंने कहा कि यदि मेरे चाचा मुझसे बोलते कि उन्हें लोकसभा में नेता बनना है तो मैं उन्हें खुशी-खुशी बना देता। मैं चाहता हूं कि वह लोकसभा में पार्टी का पक्ष पापा की तरह मजबूती से रखें। लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा यह चुनने का निर्णय पार्टी अध्यक्ष के पास है, यह सांसद के पास नहीं है। मैं घरेलू बातें सार्वजनिक करने में यकीन नहीं करता हूं।
चिराग ने कहा कि मैं इन सारी बातों को बंद कमरे में सुलझाना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब हमें कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ सकती है, जिसके लिए हम तैयार हैं। मैंने अपनी तरफ से परिवार और पार्टी दोनों को बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन चाचा की संवादहीनता के चलते ऐसा नहीं हो पाया।