प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित किया। वर्चुअली तरीके से अपने संबोधन के दौरान मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा धरती को मां का दर्जा दिया है। उन्होंने कहा कि कम होती उपजाऊ भूमि और सूखा मानवता के लिए चिंता का कारण हैं। यह पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत हैं। आपको बता दें कि यह बैठक बंजर होती जमीन और सूखे के हालात पर हुई आयोजित की गई थी।

पीएम ने कहा, “जमीन का कम होता उपजाऊपन विकासशील देशों और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। भारत इस मामले में अपने सहयोगी विकासशील देशों की मदद कर रहा है, ताकि लैंड रेस्टोरेशन किया जा सके। इसके लिए हमने देश में सेंटर फॉर एक्सीलेंस भी तैयार किया है, ताकि इस मामले पर हम दुनिया की मदद कर सकें। हमने कई और कदम उठाए हैं। कच्छ के रण में इस कारण काफी दिक्कतें आती थीं। वहां बारिश भी बहुत कम होती है।“

उन्होंने कहा हमने कच्छ के रण में भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए घास लगाने पर ध्यान केंद्रित किया और इससे जमीन को बंजर और मरूस्थली बनने से रोका। आइए एक नजर डालते हैं मोदी के संबोधिन के प्रमुख बातों परः-

  • मोदी ने कहा कि हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह 2.5-3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक को हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा।
  • उन्होंने कहा कि भारत में पिछले 10 साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इसने संयुक्त वन क्षेत्र को देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 1/4 भाग तक बढ़ा दिया है। हम भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को हासिल करने की राह पर हैं।
  • पीएम ने कहा कि दुख की बात है कि भूमि क्षरण आज दुनिया के दो तिहाई हिस्से को प्रभावित करता है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता की नींव को ही नष्ट कर देगा।
  • उन्होंने कहा कि भारत में हमने हमेशा जमीन को महत्व दिया है और पवित्र पृथ्वी को अपनी मां के रूप में मानते हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है।

 

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