डिजिटल युग में बच्चे भूल रहे तमीज, उन्हें एहसास कराएं

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नई दिल्ली.
बच्चों को अच्छी बातें और आदतें सिखाना कोई आसान काम नहीं है। स्मार्टफोन और टीवी ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चे कई गलत चीजें भी सीखने लगे हैं। टीवी और फोन से बच्चों की भाषा बहुत खराब होती जा रही है

पेरेंट्स को यह चिंता सता रही है कि बच्चों के इस बिहेवियर का असर उनके भविष्य पर भी पड़ेगा। दूसरों का सम्मान न करने, गलत शब्दों का इस्तेमाल करने से पेरेंट्स को बुरा महसूस होने लगा है। अगर आपका बच्चा भी इस तरह बिहेव करने लगा है, तो पेरेंट के तौर पर आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अगर आपको लगता है कि बड़े होने पर बच्चे अपने आप सीख जाएंगे, तो आप गलत हैं। आजकल बच्चे ज्यादातर समय परिवार की बजाय डिजिटल डिवाइस पर बिता रहे हैं। अगर अभी दखल नहीं दिया तो बच्चों की खराब आदतें कभी ठीक ही नहीं हो पाएंगी।
बच्चों को प्यार से तमीज से बात करना सिखाएं। इससे बच्चे अपने साथ-साथ दूसरों का सम्मान करना सीखेंगे। पेरेंट्स के अंधे प्यार का फायदा कई बार बच्चे उठाते हैं और अगर पेरेंट्स बच्चों को डांटते भी नहीं हैं, तो इसका भी गलत असर बच्चों के बिहेवियर पर भी पड़ता है।

बच्चे का दोस्त बनना अच्छी बात है, लेकिन आपको इस रिश्ते की लिमिट भी रखनी चाहिए। आप अपने बच्चे की रिस्पेक्ट करें और उसे भी अपनी रिस्पेक्ट करने के लिए कहें। यदि आपका बच्चा आपसे बात करते हुए कड़वे शब्द इस्तेमाल करता है, तो उसे तमीज सिखाना और सही और गलत के बीच फर्क समझाना आपकी जिम्मेदारी है। इसके अलावा बच्चों को अपने से बड़ों की इज्जत करना और तमीज से बात करना भी सिखाएं। बच्चों से बदतमीजी से बात करना सही नहीं है।

-अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बनें और उसे बात करने का पॉजिटिव तरीका सिखाएं जैसे कि आवाज को धीमा रखना और सही शब्दों का इस्तेमाल करना।

-बच्चे को दोष न दें। अगर वो गलत व्यवहार करता है तो उसे दोष न दें बल्कि यह बताएं कि इससे आपको दुख हो रहा है। आप उसके बिहेवियर से दुखी हैं।

-बच्चे से सीधे बात करें और आपको भी लग रहा है, उसे आसान शब्दों में समझाएं। बच्चे के स्क्रीन टाइम की भी कोई लिमिट रखें।

– जब तक बच्चा अपनी गलती नहीं मानता है, तब तक उस पर भरोसा रखें। ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी दूसरे ने जो शिकायत की है, वो सच ही हो। बच्चे पर भरोसा रखने से आप दोनों का रिश्ता भी मजबूत होगा।

-अपने मन में कुछ भी न सोच लें बल्कि बच्चे से बात करें और उसे ईमानदारी से जवाब देने के लिए कहें। अगर बच्चा सच बोलता है, तो उसकी तारीफ भी करें।

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