नई दिल्ली.
फाइजर, मॉडर्ना के टीके सरकारी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे। यानी सरकारी सेंटर्स पर ये टीके मुफ्त में नहीं लगेंगे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम खरीद में मदद करेंगे, क्योंकि इन दोनों कंपनियां केवल संप्रभु सरकारों से ही सौदे करती हैं, लेकिन ये टीके अधिकतर निजी अस्पतालों में उपलब्ध होंगे। इसके पीछे एक बड़ी वजह कोल्ड चेन मैनेजमेंट की है। दोनों टीकों को 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर स्टोर करना होता है।
बावजूद इसके सरकार को उम्मीद है कि इन टीकों की उपलब्धता से सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम का लोड कम होगा। जो लोग सक्षम हैं, वे निजी अस्पतालों में जाकर ये टीके लगवा लेंगे। केंद्र सरकार इस महीने से टीकाकरण की रफ्तार तेज करना चाहता है, ताकि तीसरी लहर से बचा जा सके। एक अधिकारी ने कहा, “लक्ष्य चुनौतीपूर्ण जरूर है, क्योंकि हम कम से कम 40% वयस्क आबादी को एक डोज तो लगा दी देना चाहते हैं। इसके लिए हमें वैक्सीन की खरीद बढ़ानी होंगी। अगर हमें पहुंच बढ़ानी है तो और टीकों की जरूरत पड़ेगी। फाइजर और माडर्ना जैसे महंगे टीकों में निवेश तर्कसंगत नहीं लगता।”
इसी बीच, हेल्थ मिनिस्ट्री के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने कहा कि चाहे फाइजर हो या मॉडर्ना, हम सबके साथ सेंटर लेवल से कोऑर्डिनेट करते हुए दो तरह से फैसिलिटेट कर रहे हैं। एक तो रेगुलेटरी, जो अप्रूवल के संदर्भ में है और दूसरा प्रॉक्यॉरमेंट से संबंधित। उन्होंने कहा कि फाइजर और मॉडर्ना, दोनों के ऑर्डर पहले से फुल होते हैं। ये उनके सरप्लस पर निर्भर है कि वे भारत को कितने डोज दे सकती हैं। वे भारत सरकार को बताएंगे। फिर हम सुनिश्चित करेंगे कि उसके आधार पर हम राज्य सरकारों को सप्लाई या कोऑर्डिनेट कर सकें।
याद रहे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले ही कहा था कि फाइजर और मॉडर्ना ने दिल्ली सरकार को कोरोनावायरस के टीके बेचने से इनकार कर दिया है। वे सीधे केंद्र से डील करना चाहते हैं। पंजाब सरकार के सीनियर अफसर ने भी ऐसा ही दावा किया था। उनका कहना था कि मॉडर्ना ने सीधे राज्य सरकार को यह कहकर टीके भेजने से इनकार कर दिया था कि पॉलिसी के मुताबिक कंपनी सिर्फ केंद्र सरकार के साथ ही समझौता कर सकती है।