कोलकाताः विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद पश्चिम बंगाल में बीजेपी को एक और झटका लगा है। पार्टी नेता एवं कृष्णानगर दक्षिण से विधायक मुकुल रॉय टीएमसी में फिर से शामिल हो गए हैं। रॉय ने शुक्रवार दोपहर टीएमसी दफ्तर जाकर पार्टी की सदस्यता हासिल की। इससे पहले उन्होंने पार्टी मुख्यालय में ममता बनर्जी और दूसरे नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की।
रॉय का पार्टी छोड़ना राज्य में बीजेपी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। आपको बता दें कि रॉय की 2017 के बाद टीएमसी के दिग्गजों को बीजेपी में लाने में उनकी अहम भूमिका रही है। रॉय के पार्टी छोड़ने के बाद बाद उनके करीबी और समर्थकों का भी टीएमसी में जाना तय माना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि रॉय लंबे समय से बीजेपी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। साथ ही इस साल हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कृष्णानगर दक्षिण से जीतने के बावजूद विपक्ष के नेता के तौर पर उनका नाम न आगे बढ़ाकर सुवेंदु अधिकारी को इसकी कमान सौंपे जाने से भी वह नाराज थे।
हालांकि रॉय ने उस समय टीएमसी में जाने की अटकलों को खारिज किया था और खुद को बीजेपी का सिपाही बताते हुए ट्वीट कर कहा था कि बतौर बीजेपी सिपाही राज्य में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए मेरी लड़ाई जारी रहेगी। मैं सभी से अपील करता हूं कि लोग ऐसी अफवाहों पर विराम लगाएं। मैं अपने राजनीतिक मार्ग को लेकर संकल्पित हूं।
आपको बता दें कि रॉय की पत्नी का हालचाल लेने के लिए टीएमसी में नंबर 2 के नेता एवं ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पहुंचे थे। इसके तुरंत बाद ही खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुकुल रॉय को फोन कर उनकी बीमार पत्नी का हाल जाना और इसी बहाने स्थितियों को सामान्य बनाने की कोशिश की थी।
वहीं रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय ने सोशल मीडिया जरिए ममता सरकार की आलोचना करने वालों को नसीहत दे डाली थी। उन्होंने कहा था कि जनता के समर्थन से सत्ता में आई सरकार की आलोचना करने वालों को पहले अपने भीतर झांकना चाहिए।
सबसे पहले टीएमसी छोड़ने वाले नेताओं में मुकुल रॉय शुमार थे। रॉय 2017 में टीएमसी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। टीएमसी में रहते हुए रॉय की हैसियत राज्य सरकार में नंबर 2 के नेता के रूप में थी। इसके अलावा यूपीए 2 सरकार में रेल मंत्री भी रह चुके हैं। उनका नाम नारदा और शारदा घोटाले में भी उनका नाम सामने आ चुका है।