बार-बार कैविटी के दर्द से छुटकारा पाएं

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नई दिल्ली
हमारे मुंह में कई बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जिसमें से कुछ बैक्टीरिया अच्छे और कुछ अस्वस्थ माने जाते हैं। ये बुरे बैक्टीरिया हमारे दांतों पर हमला करते हैं और दांतों की कठोर परत (एनामेल) को नष्ट करने लगते हैं। इस कारण दांतों का क्षय होता है। दांतों का क्षय होने से उनमें छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं, जिन्हें हम कैविटी कहते हैं। कैविटी किसी भी उम्र में हो सकती है। दांतों को कैविटी से दूर रखने के घरेलू उपाय कुछ इस प्रकार हैं, जिन्हें आप आजमा सकते हैं-

-दांतों से जुड़ी किसी भी परेशानी के लिए सबसे पहले लौंग को याद किया जाता है। लौंग के तेल में एन-हेक्सेन नाम का एक खास तत्व होता है जो कैविटी की वजह से होने वाले दांतों के दर्द को कम करने में मदद करता है और मुंह के अस्वस्थ बैक्टीरिया को खत्म करता है। रात को सोने से पहले रूई की मदद से लौंग का तेल दांतों पर लगाएं और सुबह साफ पानी से कुल्ला कर लें।

-लहसुन जितना स्वाद को बढ़ाने में मददगार होता है, उतना ही दांतों की कैविटी दूर करने में भी सहायक होता है। लहसुन में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जिससे कैविटी से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। इसका पेस्ट बनाकर 10 मिनट तक दांतों पर लगाएं और फिर ब्रश कर लें। दिन में दो बार ऐसा करने से कैविटी के साथ-साथ मुंह की बदबू और दांतों की सड़न से भी छुटकारा मिलता है।

-एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर दिन में दो से चार बार कुल्ला करने से मुंह के जर्म्स भी मरते हैं और कैविटी होने पर दांतों में दर्द नहीं होता। नमक के साथ-साथ पानी में भी फ्लोराइड (कैविटी को जन्म देने और बैक्टीरिया को दूर करने वाला एक तत्व) की कुछ मात्रा पाई जाती है। यह दांतों पर जमे प्लाक को दूर करता है, इसलिए यह सबसे अच्छा तरीका है, कैविटी को खुद से दूर रखने का।

-हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल गुणों के साथ एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण भी मौजूद होते हैं जो मसूड़ों को भी स्वस्थ रखते हैं। यह दांतों में कैविटी की समस्या के साथ-साथ मसूड़ों से संबंधित विकार जैसे गिंगीवाइटिस (मसूड़ों में सूजन) और परियोडोंटिस (मसूड़ों का ढीला होना) को भी ठीक करता है।

-नीम की डंडी का इस्तेमाल दांतों के मंजन के रूप में होता है। नीम के एंटी-माइक्रोबियल गुण कैविटी पैदा करने वाले मुंह के बुरे बैक्टीरिया को दूर करता है। दिन में अगर दो बार नीम का इस्तेमाल किया जाए, तो कैविटी की परेशानी नहीं होती।

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