Deprecated: The PSR-0 `Requests_...` class names in the Requests library are deprecated. Switch to the PSR-4 `WpOrg\Requests\...` class names at your earliest convenience. in /home1/prakhndx/public_html/wp-includes/class-requests.php on line 24
मशीनों के पास होगी अब खुद की समझ - Prakhar Prahari
Subscribe for notification
Categories: गैजेट्स

मशीनों के पास होगी अब खुद की समझ

नई दिल्ली
इंसान और मशीनों में बुनियादी फर्क यह है कि मशीनें अपने फैसले खुद नहीं ले सकतीं और उन्हें कमांड्स देने पड़ते हैं। हालांकि, तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के साथ मशीनें इंटेलिजेंट हो गई हैं और जरूरत के मुताबिक अपने फंक्शंस में बदलाव कर सकती हैं। ऐसा आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के चलते संभव हुआ है। मतलब मशीनें तय कर सकती हैं कि उनका इस्तेमाल कब कम या ज्यादा किया जाता है और कौन से फीचर्स ज्यादा काम के हैं।

आसान शब्दों में समझें तो आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से मशीनों और दूसरे सिस्टम्स में इंसानों की तरह सोचने की क्षमता विकसित की जाती है। पुराने सिस्टम्स और कम्प्यूटर मैनुअल तरीके से फीड किए गए कोड के आधार पर ही आउटपुट देते हैं। वहीं, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस इंसानों की तरह असली अनुभवों से सीख सकती है।
जानकारों की मानें तो खुद फैसले लेने की क्षमता मशीनों में बड़े डाटा पैकेट्स और उनके एनालिसिस से तैयार की जाती है। इंसान जहां स्वाभाविक रूप से भाषा, तर्क और अनुभव के आधार पर कोई जरूरी प्रतिक्रिया देते हैं, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस कृत्रिम तरीके से उसे कॉपी करती है। मोबाइल फोन्स से लेकर स्मार्ट डिवाइसेज तक में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का मकसद काम करने की क्षमता बढ़ाना और कम-से-कम गलतियां करना है।

छोटे से छोटे के साथ बड़े और महत्वपूर्ण कामों के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस कैमरों के साथ मोबाइल फोटोग्राफी हो या फाइनेंशियल असेट मैनेजमेंट जैसा मुश्किल काम हो, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस हर जगह इस्तेमाल हो रही है। इससे मिलने वाले डेटा के आधार पर यूजर एक्सपीरियंस को कस्टमाइज किया जाता है।
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर आधारित सर्विलांस सिस्टम के साथ अस्पतालों, रिटेल स्टोर, वेयरहाउस और एटीएम इत्यादि को हेल्थ, सेफ्टी और सुरक्षा उपलब्ध कराने में मदद मिलती है। दरअसल, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर आधारित सिस्टम्स और सॉफ्टवेयर की मदद से चेहरे को डिटेक्ट करना, इलाके की निगरानी, सर्विलांस और डिफॉल्टर्स की पहचान करने वालों का पता लगाने जैसे काम आसानी से किए जा सकते हैं।

फिलहाल, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं है और वह ऐसी बातें नहीं समझ पाती, जिनमें कहा कुछ और जाता है मतलब कुछ और होता है। शोधकर्ता आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी में इन इमोशन्स को शामिल करने को लेकर काम कर रहे हैं। यानी कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस भविष्य में इंसानी भावनाएं समझ पाएगी और हो सकता है इन्हें महसूस भी कर पाए। हालांकि, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस को इंसान की तरह से काम करने के लिए और 20-30 साल लगेंगे। फिलहाल, खुद से चलने वाली कार, सिक्योरिटी सिस्टम, चैटबॉट्स को किसी चुनौती के तौर नहीं देखा जा सकता है।

Delhi Desk

Recent Posts

गाजा पहुंचे नेतन्याहू, इजरायल-हमास जंग के बीच सैन्य ठिकानों का दौरा किया

दिल्लीः इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान पहली बार गाजा का…

3 days ago

इमोशनल टेंशन से टूटा रहमान का रिश्ता, 29 साल बाद पत्नी सायरा से अलग हुए, लिखा- उम्मीद थी 30 साल पूरे कर लेंगे

मुंबईः बॉलीवुड के महान संगीतकार एवं ऑस्कर पुरस्कार विजेता एआर रहमान (57) करीब तीन दशक बाद अपनी पत्नी सायरा बानू…

3 days ago

भारत-चीन के बीस सीधी उड़ान शुरू करने पर चर्चा, मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने पर भी G20 में बातचीत

दिल्लीः पांच साल बाद भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने पर…

3 days ago

21 से 24 नवंबर तक भाग्यनगर में लोकमंथन का आयोजन, राष्ट्रपति मुर्मू 22 को करेंगी उद्घाटन

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः भाग्यनगर के नाम से प्रसिद्ध तेलंगाना के हैदराबाद में 21 नवंबर से वैश्विक सांस्कृतिक महोत्सव…

4 days ago