सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ओएनओआरसी (ONORC) यानी वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम अवश्य लागू होना चाहिए। प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें शुक्रवार कहीं। कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने पर श्रमिकों को देश में कहीं भी राशन मिल सकेगा। चाहे वे जहां भी काम करने जाते हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर स्वतः सुनवाई करते हुए राज्य सरकारों से जवाब भी मांगा था। इस मामले में एक्टिविस्ट अनिल भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप चोकर ने भी नई याचिकाएं दाखिल की हैं। हालांकि जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्यों ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा। पंजाब और महाराष्ट्र के वकीलों ने जहां अदालत से कहा है कि हमने अपने राज्यों में ये स्कीम लागू की है। वहीं पश्चिम बंगाल के वकील ने कहा कि आधार के सीडिंग इश्यू को लेकर हम अभी ये स्कीम अपने राज्य में लागू नहीं कर सके हैं।
उधर, केंद्र ने कहा कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों ने ये स्कीम नहीं लागू की है, लेकिन, दिल्ली की ओर से पेश वकील ने कहा कि हमारे यहां ये स्कीम लागू कर दी है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि कोई भी बहाना नहीं बनाना चाहिए। पश्चिम बंगाल को ये स्कीम लागू करनी चाहिए, क्योंकि ये उन मजदूरों की भलाई के लिए है, जिन्हें हर राज्य में राशन मिलेगा। सभी राज्यों को ये स्कीम आवश्यक तौर पर लागू करनी चाहिए। कोर्ट ने असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए सॉफ्टवेयर बनाने में देरी पर भी नाराजगी जाहिर की।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि केंद्र नवंबर तक उन मजदूरों तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत फ्री राशन कैसे पहुंचाएगी, जिनका राशन कार्ड ही नहीं है?
सॉफ्टवेयर बनाने का काम आपने पिछले साल अगस्त में शुरू कर दिया होगा और अभी भी ये नहीं हो पाया है? अभी भी आपको तीन से चार महीने क्यों चाहिए?
वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर पेश हुए वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का लाभ उन मजदूरों को भी मिलना चाहिए, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। केंद्र अपनी जिम्मेदारी राज्यों पर डालने की कोशिश कर रहा है।
इस पर केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस योजना को नवंबर तक बढ़ा दिया गया है और माइग्रेंट की संख्या का पता लगाया जा रहा है। अब तक इस योजना के तहत आठ लाख मीट्रिक टन अनाज दिया गया है। उन्होंने बताया कि राशन बांटने का जिम्मा राज्यों पर छोड़ दिया गया है।