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न्यूनतम संसाधनों का प्रयोग,विलासिता पूर्ण जीवन से परहेज कर ही हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैः डॉ. जोशी - Prakhar Prahari
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न्यूनतम संसाधनों का प्रयोग,विलासिता पूर्ण जीवन से परहेज कर ही हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैः डॉ. जोशी

दिल्लीः अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में आज यहां “हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र चुनौतियां समाधान और पुनरुत्थान ” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका आयोजन आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने किया। वेबिनार में बोलते हुए  प्रख्यात पर्यावरणविद पदम भूषण डॉक्टर अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए जीवन में सरलता आवश्यक है। हमारा नित्य प्रति का जीवन त्याग पूर्ण होना चाहिए। न्यूनतम संसाधनों का प्रयोग तथा विलासिता पूर्ण जीवन से परहेज करना चाहिए, तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि करोना महामारी ने हमको सावधान हो जाने का संकेत दिया है।

वहीं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने कहा कि भारत आध्यात्मिक राष्ट्र है, परंतु धीरे-धीरे हम लोग भोगवाद की ओर प्रवृत्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह समय धैर्य तथा संयम का है। हमारे जीवन में संयम आवश्यक है, जिसके लिए शिक्षा और संस्कार उपयोगी तंत्र सिद्ध हो सकते हैं। संस्कार देने का माध्यम प्रथम घर-परिवार, दूसरा विद्यालय-महाविद्यालय तथा तीसरा समाज है। हमको पर्यावरण को सुरक्षित तथा संरक्षित रखने के लिए शिक्षा में बदलाव निश्चित रूप से करना होगा। उन्होंने बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास पर्यावरण संचेतना और स्वच्छता के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए विद्यार्थियों के माध्यम से जन जागरण के अभियान गत ग्यारह वर्षों से चला रहा है। इसके सुखद परिणाम भी मिले हैं। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पत्रक में हमें क्या करना है।

इस वेबिनार में जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जेपी शर्मा, देश के कई विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, पर्यावरणविद, शिक्षाविद,विद्यार्थी तथा आम लोग जुड़े थे। वहीं पर्यावरण विषय के राष्ट्रीय संयोजक संजय स्वामी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया तथा न्यास द्वारा चलाए जा रहे पर्यावरण के विषयों से जुड़ने का आवाहन किया। इस आभासी संगोष्ठी का संचालन प्रो.उषा मीणा तथा डॉ. संदीप कुमार उपाध्याय ने किया।

Shobha Ojha

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