नई दिल्ली.
कोविड-19 के कारण उपजा तनाव महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहा है। इससे उनका मासिक धर्म चक्र गड़बड़ा रहा है। यही नहीं, इस महामारी की चपेट में आ चुकी महिलाओं में भी मासिक धर्म में कमी या अधिकता की समस्याएं सामने आ रही हैं। प्रसूति रोग विशेषज्ञों और मासिक धर्म स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों से जुड़े लोगों के अनुसार, पिछले साल भर के दौरान इस तरह के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, ‘कोविड-19 के दौरान मासिक धर्म में देरी के मामले बढ़े हैं। ज्यादा तनाव, अत्यधिक दवाओं के सेवन से हार्मोनल असंतुलन की वजह से ऐसा हो सकता है। इसके कारण मेनोरेजिया (ज्यादा रक्तस्राव) भी कई बार देखने को मिलता है।’
मासिक धर्म में अनियमितता की वजह से महिलाओं में कई दूसरी बीमारियों का डर भी बना रहता है। मासिक धर्म के दौरान पीपीई किट पहन कर कई घंटे काम करने वाली स्वास्थ्यकर्मियों को मूत्र मार्ग संक्रमण, खुजली, सूजन आदि समस्याएं हो रही हैं।’
कोविड-19 की वजह से ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड्स उपलब्ध नहीं होने की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में इस तरह की कठिनाइयां थोड़ा परेशान करने वाली हैं। यूनीसेफ के मुताबिक भारत में 71 प्रतिशत किशोरवय लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में तब तक बहुत जानकारी नहीं होती, जब तक उन्हें खुद पहली बार इसका (माहवारी का) अनुभव नहीं होता। अच्छी बात यह है कि कोविड-19 से महिलाओं के स्वास्थ्य पर असर तो पड़ा है, लेकिन 2019-20 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक देश के सभी राज्यों में 15 से 24 साल आयु वर्ग की लड़कियों व महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता व सुरक्षा उपायों को लेकर जागरुकता भी बढ़ी है।