नई दिल्ली
कोरोनाकाल में जब देश भर में त्राहि-त्राहि मची हुई है, तो मानवता को शर्मसार करने वाले कुछ ऐसे भी लोग है, जो आपदा को अवसर मानकर अपने फायदे की फिराक में लगे हैं। ऐसे लोगों पर अदालत की भौंहें तनी हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने संबंधित एक मामले पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए नेताओं द्वारा रेमडेसिविर मंगाने और बांटने के मामलों की जांच का निर्देश दिल्ली पुलिस को दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर इन मामलों में कोई अपराध हुआ है तो एफआईआर दर्ज की जाए और दो सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। याचिका पर अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
हाईकोर्ट ने ये निर्देश उस जनहित याचिका पर दिया गया है जिनमें इन मामलों में एफआईआर व सीबीआई जांच की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ ने कहा कि वह याची को अपनी शिकायत पुलिस आयुक्त के समक्ष रखने का निर्देश देते हैं। पुलिस आयुक्त इसकी पड़ताल कर याची को सूचित करेंगे। याचिका में कहा गया था कि नेताओं को रेमडेसिविर मिल रही है जबकि मरीज अस्पतालों में इसके लिए परेशान हो रहे हैं। पेश याचिका हृदय फाउंडेशन के चेयरपर्सन दीपक सिंह की ओर से दायर की थी।
अभी 4 दिन पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने भी रेमडेसिविर की कालाबाजारी को घोर अपराध मानते हुए कहा था कि संकट के ऐसे अभूतपूर्व समय में कुछ अभूतपूर्व उपाय करना आवश्यक है। ऐसी संकट की स्थिति में कोर्ट मूकदर्शक नहीं बन सकते हैं। जीवन रक्षक दवा की कालाबाजारी में लिप्त लोगों को मजबूत संकेत भेजने के लिए यह आवश्यक है कि जीवन रक्षक दवा की कालाबाजारी के आरोपी लोगों की जांच और नतीजे को निष्कर्ष पर ले जाया जाए और यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी तरीका है कि नतीजे तेजी से पूरे हों।