ब्लैक फंगस, गैंगरीन के बाद अब नया खतरा

0
321
Coronavirus Patients
सांकेतिक तस्वीर

राजकोट.
पहले कोरोना, फिर म्यूकर माइकोसिस और गैंगरीन के बाद अब एस्परजिलस नया खतरा सामने आ रहा है। ये समस्या भी कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में सामने आ रही है। गुजरात के राजकोट में इस बीमारी के 100 से ज्यादा मरीज मिले हैं। हालांकि यह ब्लैक फंगस जितना खतरनाक नहीं है, लेकिन इसमें फेफड़ों में कफ जमने लगता है और कफ के साथ खून आने लगता है। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। अकेले राजकोट में इसके मरीजों की संख्या 300 से अधिक बताई जा रही है।

कोरोना से जिंदगी की जंग जीतने के बाद भी लोगों को कई परेशानियों से दो-चार होने पड़ रहा है। कोरोना को मात देने वाले लोगों पर जहां जानलेवा ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा था, वहीं दूसरी तरफ गुजरात के मरीजों में एक और गंभीर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। इस बीमारी को गैंगरीन कहा जाता है। इसकी चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. यह ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी की नसों में रक्त के थक्के बन जाते हैं। जिसकी वजह से कई रोगियों को अपना अंग खोना पड़ता है।

मरीज अभी इन्ही समस्याओं से जूझ रहे थे कि एस्परजिलस नया खतरा बनकर सामने आया है। यह ब्लैक फंगस से कुछ कम खतरनाक मगर समान लक्षणों वाला होता है। इसका इलाज भी अलग है। डॉक्टर इसे व्हाइट फंगस का ही एक रूप मानते हैं। ब्लैक और व्हाइट फंगस की अपेक्षा यह थोड़ा कम खतरनाक है। लेकिन इसमें अन्य फंगस संक्रमण की तरह इलाज नहीं होता। ब्लैक फंगस में एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। इसमें बोरी ‘कोनोजोल’ टेबलेट का इस्तेमाल किया जाता है। शेष प्रक्रियाएं वही रहती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here