संवाददाताः शोभा ओझा
नई दिल्लीः कोरोना काल की कठिन और चुनौतिपूर्ण परिस्थि में तथा भारत जैसे विशाल देश में 12वीं की बोर्ड परीक्षा का स्वरूप राज्यों के हिसाब से होना चाहिए। शिक्षा देश की नींव होती है और विद्यार्थियों के भविष्य की सुनिश्चितता आवश्यक है। यह कहना है आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी का।
कोठारी ने न्यास द्वारा “बोर्ड परीक्षा का स्वरूप : छात्रों का भविष्य” विषय पर आयोजित परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हुए, 12वीं की परीक्षा होनी भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष से देश में शिक्षण कार्य लगभग बंद है। उन्होंने कहा कि एक वर्ष परीक्षा ना देने का प्रभाव बच्चों के जीवनभर बना रहता है।
वहीं परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए एनसीईआरटी (NCERT) की कार्यकारिणी सदस्य अनिता शर्मा ने बताया कि एक करोड़ 40 लाख विद्यार्थियों का भविष्य तय करने वाली 12वीं बोर्ड परीक्षा विद्यार्थियों के लिए टरनिंग पाइंट की तरह रहती है। परीक्षा के पक्ष-विपक्ष में बच्चे सर्वोच्च न्यायालय तक गए हैं। इसी को दृष्टिगत रखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसमें छात्र, शिक्षक, शिक्षाविद, प्रबंधक, चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक आदि सभी को एक मंच पर लाकर चर्चा की गयी।
इसी तरह से एड्वर्ड मेंढे ने बताया कि परिसंवाद में शामिल सभी लोगों ने एक मत हो कर परीक्षा आयोजित करने पर अपनी सहमति प्रदान की। साथ ही परीक्षा के स्वरूप को लेकर आए सुझावों को सम्मिलित कर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ज्ञापन सौंपा गया।
न्यास ने ज्ञापन के माध्यम से परीक्षा आयोजन के सम्बंध में सुझाव दिए हैं, जो विद्यार्थी किसी कारणवश अभी परीक्षा नहीं दे सकते उन्हें दूसरा अवसर दिया जाना चाहिए। यदि परीक्षा प्रत्यक्ष (ऑफ़लाइन) माध्यम से आयोजित की जाती है तो परीक्षाओं का सरलीकरण हो, सम-विषय (जैसे विज्ञान के विविध विषय) का एक पेपर ही लिया जाए। साथ ही परीक्षा की समयावधि कम करने पर भी विचार किया जाना चाहिए। प्रत्यक्ष परीक्षा को लेकर सुझाव दिया गया कि अपने विद्यालय में ही परीक्षा हो, सुपरवाइज़र अन्य विद्यालय से हो सकता है।
इसके अलावा ओएमआर शीट आधारित वस्तुनिष्ठ परीक्षा आयोजित की जा सकती है। ज्ञापन में परीक्षा केंद्र के सम्बंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया कि कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखकर चिकित्सा, सैनिटाइज़ार, हाथ धोने, मास्क, फ़ेसशील्ड आदि व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाए। परीक्षा मूल्यांकन को लेकर न्यास का सुझाव है कि मूल्यांकन के 40 प्रतिशत अंक कक्षा 10वीं तथा 11वीं के परिणाम के औसत के आधार पर हो एवं 30 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के तथा 30 फीसदी होने वाली बोर्ड परीक्षा के आधार पर दिए जा सकते हैं।
परिसंवाद में एनआइओएस (NIOS) की अध्यक्ष प्रो. सरोज शर्मा, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महा सचिव डॉ. पंकज मित्तल, NCERT की अंजु मेहरोत्रा, नवभारती शिक्षण संस्थान के डॉ. संजय भारती, जे.पी. विद्यालय समूह के एमपी शर्मा, चिकित्सक डॉ. स्मिता मिश्रा, मनोवैज्ञानिक डॉ. गीतांजलि कुमार, मध्यप्रदेश शुल्क नियामक आयोग के अध्यक्ष रविंद्र कान्हरे, कुलपति प्रो. आर.के. मित्तल (हरियाणा), डॉ. पवन सिन्हा, डॉ. अतुल गौतम ने भी महत्वपूर्ण सुझाव किए।