नई दिल्ली.
मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विवादों में घिरी ठाकरे सरकार को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय स्वराज संस्था में अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ठाकरे सरकार की पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट के इस दूरगामी निर्णय से ग्राम पंचायत, जिला परिषद् और स्थानीय स्वराज संस्था में ओबीसी को मिलने वाला राजनीतिक आरक्षण समाप्त हो गया है।
दरअसल, आरक्षण 50% होने के मामले में नागपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। तत्कालीन फडणवीस सरकार ने नागपुर सहित अकोला, वाशिम, नंदुरबार व धुले जिला परिषद् को अतिरिक्त समय दिया था। इस दौरान नंदुरबार के एक सदस्य की सदस्यता रद्द कर दी गई। अतिरिक्त समय दिए जाने के बावजूद सदस्यता रद्द नहीं किया जा सकता है, इसे लेकर सरकार के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट दवारा याचिका ख़ारिज करने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के अतिरिक्त समय देने के आदेश को अयोग्य ठहराते हुए छह महीने के अंदर चुनाव कराने का आदेश दिया था। उस वक़्त सरकार ने ओबीसी की जनसंख्या के आधार पर सीट निश्चित करने का अध्यादेश जारी किया था, लेकिन ओबीसी की जनसंख्या का आंकड़ा नहीं होने की वजह से सीट निश्चित नहीं किया जा सकता है, ऐसा एफिडेबिट राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया था।
इस बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया। उद्धव सरकार ने चुनाव कराने की परमिशन देने की विनती की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन रहते हुए चुनाव कराने की परमिशन दी गई। पांचों जिला परिषद् का चुनाव हुआ। अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के अनुसार 27% के अनुसार सीट निश्चित करना है।
राज्य में एससी को 13%, एसटी को 7% और ओबीसी -VJNT को 30% आरक्षण है। इसके अनुसार पहले ही अकोला, नागपुर, वाशिम जिला परिषद् में ओबीसी का आरक्षण कम है।