पंजाब.
पंजाब में कृषि कानूनों का विरोध लगातार जारी है। विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों के हक में अपने घर पर काला झंडा लगाया है। उन्होंने अपने पटियाला और अमृतसर स्थित आवासों पर यह काला झंडा लगाया है। किसान आंदोलन से मिले राजनीतिक अवसर को सिद्धू भुनाने में जुटे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि किसान आंदोलन से पहले नवजोत सिंह दो वर्ष तक अपने पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के संपर्क में नहीं रहे। वह टि्वटर पर बेहद सक्रिय हैं और लगातार आग उगल रहे हैं। सिद्धू ने ट्वीट कर कहा है कि किसानों को अपनी फसलों पर मात्र अपने अधिकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य चाहिए।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस नहीं लेती, वह किसान आंदोलन का समर्थन करेंगे। उन्होंने सोमवार को अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि 26 मई को किसानों को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे छह महीने पूरे हो जाएंगे। तीनों कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच चल रही वार्ता भी पिछले चार महीनों से बंद होने के चलते किसानों ने 26 को काला दिवस मनाने का एलान किया है। पंजाब के 32 किसान संगठन इसकी तैयारियों में जुट गए हैं।
किसान संगठनों ने किसानों, मजदूरों, युवाओं, विद्यार्थियों, सरकारी कर्मचारियों, साहित्यकारों , रंगकर्मियों, ट्रांसपोर्टरों,व्यापारियों और दुकानदारों से अपना रोष व्यक्त करने की अपील की है। इस दौरान घरों, दुकानों, दफ्तरों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटर, मोटर साइकिल,बसों, ट्रकों पर काले झंडे लाकर तीनों कृषि कानूनों, बिजली संशोधन बिल और पराली आर्डिनेंस का विरोध जोरदार ढंग से किया जाएगा। बता दें कि पंजाब में 108 जगहों पर टोल प्लाजा, रिलायंस पंप, मॉल, रेलवे पार्क और अदाणी की खुश्क बंदरगाहों व भाजपा नेताओं के घरों के बाहर धरने जारी हैं।
शिरोमणि अकाली दल संयुक्त ने भी किसान संगठनों के काला दिवस मनाने का समर्थन किया है। पार्टी के प्रधान सुखदेव सिंह ढींडसा और सरपरस्त रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वह तीनों कृषि कानूनों को रद करें। उन्होंने किसानों की हिम्मत की प्रशंसा की कि छह माह से भारी सर्दी व बरसात आदि झेलने के बावजूद वे डटे हुए हैं।