12वीं की परीक्षा पर मंथन तेज, 30 मई तक फैसला संभव

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-अभी राज्यों से मांगे गए हैं सुझाव, दिल्ली परीक्षा के खिलाफ
नई दिल्ली.
कोरोनाकाल में शिक्षा क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ है। ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर पढ़ाई की खानापूर्ति की जा रही है। संक्रमण की तेज गति को देखते हुए अंतत: कई प्रदेशों में बोर्ड की और से तो सीबीएसई और आईसीसी बोर्च को मजबूरन 10 वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द तक करनी पड़ी। अब 12वीं की परीक्षा को लेकर बैठक-दर-बैठक शुरू है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने आगामी बोर्ड परीक्षा, जेईई मेन, नीट सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं पर फैसले को लेकर रविवार सुबह 11.30 बजे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक की।

बैठक के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने को कहा गया है, ताकि निर्णय पर पहुंचने में आसानी हो। प्रस्तावों पर विचार विमर्श करने के बाद 30 मई तक कोई फैसला किया जा सकता है। बता दें 1 जून को शिक्षा मंत्री की सीबीएसई के साथ बैठक होनी है, संभावना है कि इस बैठक में ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। बता दें कि शिक्षा मंत्री द्वारा जो भी निर्णय लिया जाएगा वह न केवल सीबीएसई पर लागू होगा, बल्कि उसका प्रभाव राज्य स्तरीय परीक्षाओं पर भी पड़ेगा।

सूत्रों से जानकारी प्राप्त हो रही है कि बैठक में बारहवीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर सहमति बनी है। परीक्षा में वैकल्पिक प्रश्न पूछे जाएंगे। दिल्ली को छोड़ सभी राज्य बारहवीं बोर्ड परीक्षा के लिए तैयार हैं, परीक्षा ऑफलाइन मोड में ही आयोजित की जाएगी। वहीं सीबीएसई का कहना है कि वह जून के आखिरी सप्ताह में परीक्षा आयोजित करने के लिए तैयार है।

दिल्ली सरकार बारहवीं बोर्ड की परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ है। सरकार का कहना है कि कम-से-कम बोर्ड के लिए उपस्थित होने वाले सभी छात्रों को टीकाकरण करने से पहले परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी। महाराष्ट्र ने भी ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करने का विरोध किया है। महाराष्ट्र शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि छात्रों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हमारी प्राथमिकता है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही है और एक प्रत्याशित तीसरी लहर अभी बाकी है।

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