नई दिल्ली
चुनाव आयोग द्वारा एक कोर कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी नियामक व्यवस्था में कमियों, अंतरालों की पहचान करेगी और बदलावों को लागू करेगी। बयान में कहा गया कि कोर कमेटी की सिफारिशों से निर्वाचन आयोग को आगामी चुनावों के लिए आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। निर्वाचन आयोग के महासचिव उमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली ‘कोर कमेटी को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
दरअसल, कोरोना काल में बीते दिनों पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। इन चुनावों में चुनाव आयोग पर मद्रास हाईकोर्ट ने गंभीर और सख्त टिपण्णी की थी। कोर्ट ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग के दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया था। तब निर्वाचन आयोग ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए आयोग ने कहा था कि उसने प्रचार की अवधि घटाकर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल किया और उल्लेख किया कि आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों को लागू करना राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) की जिम्मेदारी है। कोर कमेटी निष्पक्ष चुनाव के लिए व्यय प्रबंधन नियमन को मजबूत करने के लिए उपायों पर भी गौर करेगी।
देश में कुछ लोगों का मानना है कि कोविड-19 के मामलों में अचानक रिकॉर्ड तेज़ी के लिए वो राजनीतिक पार्टियां ज़िम्मेदार हैं, जिन्होंने ख़तरों के बावजूद विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र भीड़भाड़ वाली रैलियाँ करने में कोई झिझक नहीं दिखाई। चुनावी रैलियों में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी और लोगों के बीच फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग नाम की कोई चीज़ शायद बची नहीं। रैलियों में मास्क पहने लोग भी बहुत कम ही नज़र आए। आम लोग तो दूर, रैलियां कर रहे नेता और उम्मीदवार भी कोविड से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन करते नज़र नहीं आ रहे थे।
मजबूर होकर भारतीय निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन न होने के लेकर चेतावनी जारी की थी। चेतावनी के बावजूद नेताओं को सुरक्षा मानकों का पालन न करते देख आख़िरकार निर्वाचन आयोग ने 22 अप्रैल से चुनावी रैलियों पर रोक लगा दी। फिर भी आयोग आसन्न चुनावों के परिप्रेक्ष्य में सुधार की गुंजाइश तलाश रहा है। अब कोर कमेटी को निर्वाचन आयोग के नियामकीय शासन में कमियों और राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों तथा जिला अधिकारियों के स्तर पर क्रियान्वयन में अंतराल की पहचान करने का काम सौंपा गया है। गुरुवार को जारी एक बयान के मुताबिक, कमेटी कानूनी और नियामकीय ढांचे को मजबूत करने की जरूरत पर भी गौर करेगी ताकि आयोग कोविड-19 संबंधी नियमों समेत सभी दिशा-निर्देशों का प्रभावी तरीके से पालन सुनिश्चित करा सके।
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