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क्यों I-PAC छोड़ना चाहते हैं प्रशांत किशोर, जाने बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद क्या बोले रणनीतिकार - Prakhar Prahari
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क्यों I-PAC छोड़ना चाहते हैं प्रशांत किशोर, जाने बंगाल में टीएमसी की जीत के बाद क्या बोले रणनीतिकार

मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशासंत किशोर ने एक बयान देकर सबको चौंका दिया है। बंगाल में बीजेपी डबल डिजिट क्रॉस कर गई, तो मैं अपना काम छोड़ दूंगा, जैसे बयान देने वाले प्रशांत किशोर ने वे इस जीत के बाद I-PAC (प्रशांत किशोर की फर्म) छोड़ना चाहते हैं।

बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन को जीत दिलाने के दावे पर खरे उतरने के बाद भी प्रशांत ने एक टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में कहा कि अब वह चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते। वह चाहते हैं कि उनकी टीम के बाकी साथी अब इस काम को संभालें।

राजनीति में आने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रशांत ने कहा कि जब उनसे पूछा गया कि वह एक विफल पॉलिटिशियन साबित हुए हैं। हालांकि उन्होंने अब वे आगे क्या करेंगे, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा, लेकिन मजाकिया लहजे में कहा कि हो सकता है कि वह अपनी फैमिली के साथ असम में जाकर एक टी गार्डन चलाएं।

इससे पहले प्रशांत ने एक साक्षात्कार में कहा था कि जो भी काम करो, सर्वश्रेष्ठ बन कर करो। यदि मैं स्किल, मैथोडॉलोजी और फैक्ट के इस्तेमाल के बाद भी जीत न दिला सकूं तो मुझे नैतिक रूप से यह काम नहीं करना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि मुझे जीवनभर यही काम करना है। कोई दूसरा काम नहीं करना है। मेरे बाद भी यह काम होता रहेगा। मैंने अपने सहयोगियों को इन सारी संभावनाओं के बारे में पहले से बता दिया है। अगर मुझे यह महसूस हुआ कि मैं इस काम में नंबर-1 नहीं हूं तो मुझे यह काम छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। मैं दूसरे के लिए जगह खाली कर दूंगा।

आएख एक नजर डालते हैं प्रशांत को 10 सालों में में मिली सफलता परः-

साल : 2012चुनाव : गुजरात विधानसभा चुनाव

प्रशांत किशोर ने ही साल 2011 में ‘वाइब्रेंट गुजरात’ का स्ट्रक्चर तैयार किया था। इसके बाद 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रचार की जिम्मेदारी संभाली और तब 182 में से 115 सीटें जीताकर नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री के तौर बनवाया।

साल : 2014चुनाव : 16वां लोकसभा चुनाव

बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी भी प्रशांत को सौंपी और बीजेपी पहली बार बहुमत से भी ज्यादा सीटें यानी 282 सीटों पर जीत हासिल की।

साल : 2015चुनाव : बिहार विधानसभा चुनाव

प्रशांत ने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली और चर्चित नारा दिया-‘ बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार हैं’ यह नारा काफी चर्चा में रहा। इस चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को 243 में से 178 सीटों पर जीत मिली थी जबकि एनडीए महज 58 सीटों पर सिमट गया रह गया।

साल : 2017चुनाव : पंजाब विधानसभा चुनाव

किशोर ने 2017 में प्रशांत पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार कर 117 सीटों में से 77 सीटों पर जीत दिलवाई।

साल : 2017चुनाव : यूपी विधानसभा चुनाव

2017 का यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रशांत किशोर पर दांव खेला, लेकिन उन्हें बहुत बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। 403 सीटों में से कांग्रेस को महज 47 सीटों पर ही जीत मिली थी।

साल : 2019चुनाव : आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव

2019 में आंध्र प्रदेश में शांत किशोर जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के लिए चुनावी सलाहकार नियुक्त हुए। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के लिए कैंपेन डिजाइन किए और वाईएसआर को 175 में से 151 सीटों पर जीत मिली।

साल : 2020चुनाव : दिल्ली विधानसभा चुनाव

प्रंशात ने 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभाई और लगे रहो केजरीवाल कैंपेन लॉन्च किया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 सीटों पर जीत मिली।

44 वर्षीय प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव के निवासी हैं। बाद में उनका परिवार यूपी-बिहार बॉर्डर से सटे बक्सर जिला में शिफ्ट हो गया। उनके पिता पेशे से डॉक्टर थे। बिहार में शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट के तौर पर करियर शुरू करने से पहले प्रशांत यूनिसेफ में जॉब करते थे और उन्हें इसकी ब्रांडिंग की जिम्मेदारी मिली थी। वह 8 सालों तक संयुक्त राष्ट्र से भी जुड़े रहे। प्रशांत अफ्रीका में यूएन के एक मिशन के चीफ भी रहे हैं।

 

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