Randeep Guleria
फोटो: एएनआई

देश में कोरोना वायरस महामारी ने कहर बरपा रखा है. ऑक्सीजन लेवल, रेडमेसिविर की होड़ लगी हुई है. हबड़तबड़ इतनी ज्यादा है कि लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर संक्रमित होने के बाद उसे क्या करना चाहिए. इस मसले को लेकर देश के चार दिग्गज डॉक्टर मीडिया के एक प्लेटफॉर्म पर आए और लोगों को वो सबकुछ बताया जो उन्हें संक्रमण के बाद करना चाहिए.

देश के जाने माने स्वास्थ्य विशेषज्ञ एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया, मेदांता के चेयरमैन डॉक्टर नरेश त्रेहन, प्रोफेसर और एम्स के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. नवीत विग और जनरल हेल्थ सर्विसेज के डायरेक्टर डॉ. सुनील कुमार ने एएनआई के मंच से कोरोना वायरस से जुड़ी परेशानियों पर अपनी बात रखी और बताया कि इस कोलाहल के बीच क्या करना चाहिए और किस तरह परिस्थितियों को संभालना है. मेदांता के डॉक्टर त्रेहन ने कहा कि जैसे ही आपकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो मेरी सलाह है कि अपने स्थानीय डॉक्टर के संपर्क में रहें. सभी डॉक्टरों को प्रोटोकॉल का पता है और उसके मुताबिक ही वे इलाज शुरू करेंगे. उन्होंने 90 प्रतिशत मरीज घर पर ही रहकर ठीक हो रहे हैं, अगर उन्हें समय पर सही दवा उपलब्ध कराई जाए.

इससे पहले एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि रेमडेसिविर कोई जादुई दवा नहीं है, ये सिर्फ उन मरीजों को दी जाती है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाता है. इनमें मॉडरेट से लेकर गंभीर मामले शामिल हैं, जिनका ऑक्सीजन लेवल 93 से कम होता है. इसलिए ऑक्सीजन और रेमडेसिविर को बर्बाद ना करें. ज्यादा मरीज घर पर आइसोलेशन में रहकर ठीक हो जा रहे हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं के डायरेक्टर जनरल सुनील कुमार ने कहा कि वैक्सीन को लेकर बहुत सारी अफवाहें चल रही है. लेकिन, किसी भी वैक्सीन के साथ कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है, जो चीजें हैं उन्हें इग्नोर किया जा सकता है. वैक्सीन और कोविड संबंधी व्यवहार, दोनों चीजें ऐसी हैं कि जिनकी संक्रमण की चेन में तोड़ने में अहम भूमिका है. दूसरी डॉक्टर सुनील कुमार ने कहा कि खबरों पर ज्यादा ध्यान ना दें. केवल चुनिंदा खबरें ही देखें. देश में व्हाट्स ऐप यूनिवर्सिटी भी है. इस पर ध्यान ना दें. जिम्मेदारी पूर्वक व्यवहार करें. इस तरह का व्यवहार आपके द्वारा, डॉक्टरों के द्वारा और समाज के साथ मीडिया के द्वारा भी फॉलो किया जाना चाहिए.

एम्स के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर नवीत विग ने कहा कि संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए हमें मरीजों के संक्रमित होने के मामलों को कम करना होगा. हमारा लक्ष्य केवल एक होना चाहिए और वो है, ब्रेक द चेन. उन्होंने कहा कि हमें बीमारी को हराना ही होगा. हमें स्वास्थ्य कर्मियों की जान बचानी है. इनमें से सारे पॉजिटिव आ रहे हैं. अगर हम स्वास्थ्य कर्मियों को बचाएंगे, तभी मरीजों की जान बचा पाएंगे. अगर हम दोनों को बचा पाए तो अर्थव्यवस्था को पाएंगे. ये सारी चीजें जुड़ी हुई हैं.

डॉक्टर विग ने कहा कि जिले के सभी अधिकारियों को संक्रमण दर पर निगाह रखनी चाहिए और कोशिश करें कि इसे 1 से 5 प्रतिशत के बीच रखें. मुंबई में पॉजिटिविटी रेट 26 प्रतिशत थी, लेकिन पाबंदियों के बाद इसमें कमी आई है और यह 14 प्रतिशत से नीचे आ गई है. दिल्ली 30 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट पर संघर्ष कर रही है. हमें संक्रमण को रोकने के लिए सख्त पाबंदियां लगानी ही होंगी.

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