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शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट पर उठाए सवाल, कहा चुनावों तथा कुंभ पर रोक लगा दिए होते, तो खराब नहीं होते हालात

शिवसेना ने कुंभ मेला तथा पश्चिम बंगाल में चुनाव बहाने शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में चुनावी रैलियों और हरिद्वार कुंभ मेले के आयोजन के मुद्दे पर समय पर संज्ञान लिया होता, तो कोरोना वायरस के कारण देश में हालात इतने खराब नहीं होते। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड महामारी के बीच ऑक्सिजन सप्‍लाई और टीकाकरण संबंधी राष्ट्रीय योजना के बारे में केंद्र सरकार से जानकारी मांगी है, जिसके बाद शिवसेना ने यह टिप्पणी की है।

शिवसेना ने शनिवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे लेख में कहा, “यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया है। यदि प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य नेताओं की पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियों और हरिद्वार में धार्मिक सभाओं को लेकर भी समय पर हस्तक्षेप किया होता, तो लोगों के इस तरह तड़पकर मरने की नौबत नहीं आती।“

पार्टी ने ऑक्सीजन की कमी के कारण दिल्ली के एक अस्पताल में मरीजों की मौत का उल्लेख करते हुए सवाल किया है कि अगर केंद्र इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो फिर इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पार्टी ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के ये के हालात हैं। यदि केंद्र सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

ब्रिटेन के एक प्रमुख अखबार ने ‘भारत कोविड-19 का नरक बन गया है’ नाम से लेख प्रकाशित किया है। शिवसेना ने इस शीर्षक का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों के बजाए कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया होता, तो हालात खराब नहीं होते। पार्टी ने भंडारा, मुंबई, विरार और नासिक के अस्पतालों में घटित घटनाओं में लोगों की मौत होने पर शोक व्यक्त किया। पार्टी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी भारत को स्वर्ग बनाना चाहते थे, लेकिन हमें आज केवल श्मशान और कब्रिस्तान ही दिख रहे हैं। कहीं सामुदायिक चिताएं जल रही हैं और कहीं अस्पताल मरीजों के साथ स्वयं जल रहे हैं। क्या यही स्वर्ग है?”

पार्टी नेता संजय राउत ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि हमारा नेतृत्व चुनाव जीतने और राजनीति करने के अलावा और कोई काम नहीं करना चाहता। उन्हें लगता है कि यही अंतिम सफलता है। यदि वैश्विक महामारी से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया जाता, तो हम ऐसी स्थिति में नहीं होते। उन्होंने महाराष्ट्र में स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आगे रहकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “वह चुनावी रैलियों को संबोधित करने के लिए कहीं नहीं गए। वह लड़ रहे हैं, मुंबई में बैठे हैं और निर्देश दे रहे हैं। ठाकरे राजनीति नहीं कर रहे।“

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