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अंतरराष्ट्रीय

फ्रांस ने पाकिस्तान से वापस बुलाए अपने राजनयिक, पढ़िये पूरी रिपोर्ट

पाकिस्तान में कट्टरपंथियों ने फ्रांस के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया हुआ है. कहा जा रहा है कि इस मामले में इमरान सरकार मौन समर्थन दे रही है. बीते गुरुवार (15 अप्रैल) को ही फ्रांस ने अपने नागरिकों और कंपनियों को अस्थायी तौर पर पाकिस्तान छोड़ने का निर्देश दिया था. पाकिस्तान में फ्रांस के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.

अब हालात ज्यादा बिगड़ रहे हैं. ऐसे में फ्रांस ने पाकिस्तान से अपने 15 राजनयिकों को वापस बुला लिया है. पैगंबर मोहम्मद के कार्टून प्रकाशन को लेकर हुई हिंसा के बाद यूरोपीय देश ने यह फैसला लिया है. पाकिस्तान में बीते कई दिनों से हिंसक झड़पें जारी हैं, जिनमें एक प्रतिबंधित संगठन भी शामिल है. इन लोगों की मांग है कि फ्रांस के राजनियकों को पाकिस्तान से बाहर किया जाना चाहिए. इन मांगों और हिंसा के बीच फ्रांस ने अपने राजनयिकों को इस्लामिक देश से वापस बुला लिया है. पाकिस्तान ने इस हिंसा में शामिल संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पर एंटी टेररिज्म एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए बैन लगा दिया है.

तहरीक-ए-लब्बैक की हिंसा में दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई है. लगातार तीन दिनों तक हिंसक प्रदर्शन किए जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया है. पाकिस्तान में हिंसा के चलते अब तक 15 राजनयिक देश छोड़ चुके हैं या फिर निकलने की तैयारी में हैं. फ्रांसीसी अखबार ले फिगारो की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. बीते सप्ताह गुरुवार को ही फ्रांस ने अपने नागरिकों और कंपनियों को अस्थायी तौर पर पाकिस्तान छोड़ने की सलाह दी थी. पाकिस्तान में फ्रांस के विरोध में हिंसक प्रदर्शकों के बाद सरकार ने यह सलाह दी थी.

अब फ्रांस की ओर से राजनयिकों को वापस बुलाए जाने से साफ है कि यूरोपीय देश और पाकिस्तान के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों की सरकार की ओर से व्यंग्य पत्रिका शार्ली हेब्दो में प्रकाशित पैगंबर के कार्टूनों का बचाव किया गया था. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार देखने को मिल रही है.

राष्ट्रपति मैक्रों के बयान का पाकिस्तान ने तीखा विरोध किया था. यहां तक मौजूदा हिंसा के लिए जिम्मेदार संगठनों से बातचीत न करने वाले पाक पीएम इमरान खान ने भी शार्ली हेब्दो की निंदा की थी. दरअसल मैगजीन में उन कार्टूनों को एक बार फिर से पब्लिश किया गया था, जिन्हें लेकर आपत्ति जताई गई थी. इस मामले में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भूमिका की भी इमरान खान ने आलोचना की थी.

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