प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर में ऑक्सीजन टैंकरों का निर्बाध आवागमन को लेकर समीक्षा बैठक की। इसके बाद एक से दूसरे राज्य में जाने वाले ऑक्सीजन टैंकरों को परमिट में छूट दी गई है।

मोदी ने देश में कोरोना महामारी के बढते प्रकोप के बीच ऑक्सीजन की बढती मांग को देखते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता की स्थिति की शुक्रवार को समीक्षा की। इसके बाद अधिकारियों ने बताया कि राज्यों और ट्रांसपोर्टरों से कहा गया है कि टैंकर चौबीस घंटे चलाये जाने चाहिए जिससे कि समय पर हर जगह ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। यह ध्यान में रखने को कहा गया है कि ड्राइवरों से शिफ्ट में काम कराया जाए, जिससे उनपर बोझ न बढे। सिलेंडर फिलिंग प्लांट में भी जरूरी एहतियाती उपायों के साथ दिन रात काम होना चाहिए। सरकार औद्योगिक सिलेंडरों का मेडिकल ऑक्सीजन के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति भी दे रही है। इसी तरह नाइट्रोजन टैंकरों को भी ऑक्सीजन टैंकरों में बदला जा रहा है, जिससे ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके। प्रधानमंत्री को मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आयात की कोशिशों से भी अवगत कराया गया।

इस बैठक में स्वास्थ्य, सड़क परिवहन और इस्पात तथा अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों से भी सुझाव लिये गए। बैठक में मोदी ने जोर देकर कहा कि सभी संबंधित मंत्रालयों और राज्य सरकारों के बीच तालमेल बहुत जरूरी है।  उन्होंने ऑक्सीजन आपूर्ति की मौजूदा स्थिति और सबसे अधिक प्रभावित 12 राज्यों में आने वाले 15 दिनों की जरूरत की समीक्षा की। इन राज्यों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं। प्रधानमंत्री को इन सभी राज्यों में जिलावार ऑक्सीजन आपूर्ति की स्थिति से अवगत कराया गया।

बैठक में प्रधानमंत्री को बताया गया कि राज्यों और केन्द्र सरकार के बीच नियमित संपर्क बना हुआ है और 20, 25 और 30 अप्रैल के लिए अनुमान के आधार पर ऑक्सीजन की जरूरत के आंकडे साझा किये गये हैं। इनके आधार पर इन 12 राज्यों को 20, 25 और 30 अप्रैल के लिए क्रमश 4880, 5619 और 6593 टन गैस का आंवटन किया गया है। उन्हें ऑक्सीजन की बढती मांग के मद्देनजर देश में उत्पादन क्षमता के बारे में भी जानकारी दी गयी। इस्पात संयंत्रों में अतिरिक्त  ऑक्सीजन की आपूर्ति मेडिकल इस्तेमाल के लिए करने के बारे में भी चर्चा हुई।

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