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राष्ट्रीय

किसानों के लिए आई अच्छी खबर, इस मानसून में जमकर बरसेंगे बादल

इस बार बरसात के मौसम में जमकर बारिश होने की संभावना है. ऐसे में किसानों के लिए फसल अच्छी होने की उम्मीद की जा सकती है. भारत के करीब 20 करोड़ किसान धान, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी कई फसलों की बुआई के लिए मानसून की बारिश का इंतजार करते हैं. अब मानसून को लेकर जो खबर आई है वो किसानों के चेहरे पर खुशी ला देगी.

स्काइमेट के मानसून पूर्वानुमान के अनुसार चार महीनों जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर की औसत वर्षा बीबीएम.6 मिमी की तुलना में 2021 में 103 फीसदी बारिश होने को संभावना है. इसमें 5 फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है. मानसून के क्षेत्रीय प्रदर्शन पर स्काइमेट का अनुमान है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पूरे सीजन बारिश कम होने की आशंका है. हालांकि, मानसून के शुरुआती महीने जून और आखिरी हिस्से यानी सितंबर में देश भर में व्यापक बारिश के संकेत है.

आपको बता दें कि 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच हुई बारिश को औसत या सामान्य मानसून के रूप में परिभाषित किया जाता है. आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून भारत में प्रवेश करता है. 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है.

स्काइमेट के सीईओ योगेश पाटिल का कहना है कि प्रशांत महासागर में पिछले साल से ला नीना की स्थिति बनी हुई है. और अब तक मिल रहे संकेत इशारा करते हैं कि पूरे मानसून सीज़न में यहीं स्थिति रहे सकती है.

मानसून के मध्य तक आते-आते प्रशांत महासागर के मध्य भागों में समुद्र की सतह का तापमान फिर से कम होने लगेगा. हालांकि समुद्र की सतह के ठंडा होने की यह प्रक्रिया बहुत धीमी रहेगी.

इस आधार पर कह सकते हैं कि मानसून को खराब करने वाले अल नीनों के उभरने की आशंका इस साल के मानसून में नहीं है.

मानसून को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण सामुद्रिक बदलाव है मैडेन जूलियन ओशिलेशन (एमजेओ), जो इस समय हिन्द महासागर से दूर हैं.

पूरे मानसून सीजन में यह बमुश्किल 3-4 बार हिन्द महासागर से होकर गुजरता है. मानसून पर इसके किसी प्रभाव के बारे अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा.

बता दें कि भारत के करीब 20 करोड़ किसान धान, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी कई फसलों की बुआई के लिए मानसून की बारिश का इंतजार करते हैं.
इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि देश की खेती लायक करीब 50 फीसदी जमीन में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है. इसके चलते कृषि उत्पादन का भारत की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 14 फीसदी की भागीदारी है.

हालांकि, यह सेक्टर देश की करीब 65 करोड़ से अधिक आबादी को रोजगार देता है. भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है यानी करीब 50 फीसदी लोगों को खेती-किसानों में रोजगार मिला हुआ है.

General Desk

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