भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख की कुर्सी आखिरकार चली ही गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
आपको बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज ही वसूली के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आरोप छोटे नहीं हैं और ये आरोप राज्य के गृह मंत्री पर लगे हैं, इसलिए पुलिस इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। कोर्ट ने यह आदेश डॉ. जयश्री लक्ष्मणराव पाटिल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिए।
कोर्ट ने कहा, “यह पूरा मामला एफआईआर (FIR) यानी प्राथमिकी के इर्दगिर्द घूम रहा है। जयश्री पाटिल ने पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करवाने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। हम इस मामले से जुड़े अन्य मुद्दों पर अभी बात नहीं करेंगे। हम इस बात से सहमत हैं कि यह एक अभूतपूर्व मामला है। अनिल देशमुख पुलिस विभाग को लीड करने वाले गृह मंत्री हैं। इस मामले में एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, इसलिए सीबीआई फिलहाल बिना प्राथमिकी दर्ज किए इस मामले की जांच करे और 15 दिन में अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश करे।“
आपको बता दें कि मुंबई पुलिस के आयुक्त रहे परमबीर सिंह ने देशमुख पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर में देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई थी। साथ ही मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त के पद से अपने तबादले के आदेश को भी चुनौती दी है। इससे पहले परमबीर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था तथा उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट जाने को कहा था।
वहीं कोर्ट द्वारा इस मामले की सीबीआई जांच कराने के आदेश के बारे में शिवसेना सांसद संजय राउत ने अनभिज्ञता जाहिर की कहा कि बिना जानकारी के लिए मैं कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता। कोर्ट ने जो भी बातें कहीं हैं, उसका आकलन करना होगा और उसके बाद ही सरकार इस पर कोई अपना पक्ष रखेगी। उधर, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने समय-समय पर इस मुद्दे को लेकर अपनी भूमिका रखी है और आगे भी वह अपनी बातें सही फोरम पर रखेंगे
हालांकि, इससे पहले हाईकोर्ट ने जयश्री को उनकी याचिका को लेकर फटकार लगाई थी। जस्टिस एसएस शिंदे की बेंच ने उस समय कहा था कि हमारा विचार है कि इस तरह की याचिकाएं सस्ते प्रचार के लिए दायर की जाती हैं। आप कहती हैं कि आप अपराधशास्त्र (Criminology) में डॉक्टरेट हैं, लेकिन आप की ओर से ड्राफ्ट किया एक भी पैराग्राफ हमें दिखाएं।
कोर्ट ने कहा था कि आपकी पूरी याचिका एक पत्र (परमबीर सिंह का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र) पर आधारित है। इसमें आपकी वास्तविक मांग कहां हैं? आप के पॉइंट्स कहां हैं?’ इस पर एडवोकेट पाटिल ने कहा कि वह पहले पुलिस के पास शिकायत लेकर गई थीं, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आपको बता दें कि मुंबई पुलिस के आयुक्त रहे परमबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि देशमुख ने मुंबई पुलिस के निलंबित सहायक निरीक्षक सचिव वाजे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था। उनका दावा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी ये बात बताई थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने अपने तबादले के आदेश को भी चुनौती दी है और कहा है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अफसर रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट की जांच की जानी चाहिए।
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