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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी के माध्यम से देशवासियों से मन की बात की। पीएम मेदी के मन की बात का यह 75वां कार्यक्रम था। मोदी ने अपने 32 मिनट के इस कार्यक्रम में बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव का उल्लेख किया और इन राज्यों की खूबियों और यहां के लोगों की जमकर तारीफ की। साथ ही उन्होंने किसान और कृषि का भी जिक्र किया तथाकृषि के क्षेत्र में आधुनिकता की वकालत की। उन्होंने कहा कि इस मामले में हम काफी पीछे हो गए हैं। कृषि को आधुनिकता और नवचार से काफी पहले जोड़ देना चाहिए था।

मोदी ने देशवासियों से कोरोना वैक्सीन का टीका लेने का आह्वान किया और कहा कि इसके साथ-साथ कोविड-19 के  मानकों  का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 का टीका लगाने का अभियान चल रहा है, जो दुनिया में सबसे बड़ा अभियान है। उन्होंने कहा कि सभी योग्य व्यक्तियों को कोरोना का टीका लगवाना चाहिए। साथ ही महामारी से निपटने के मानकों मास्क पहनने, दो गज दूरी रखने और बार-बार हाथ धोने  के नियम का भी पालन करना चाहिए।

पीएम ने कहा, “पिछले वर्ष ये मार्च का ही महीना था, देश ने पहली बार जनता कर्फ्यू शब्द सुना था, लेकिन इस महान देश की महान प्रजा की महाशक्ति का अनुभव देखिये, जनता कर्फ्यू पूरे विश्व के लिए एक अचरज बन गया था। अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदहारण था, आने वाली पीढ़ियाँ इस एक बात को लेकर के जरुर गर्व करेगी।”  उन्होंने कहा, “कोरोना योद्धाओं के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना। आपको अंदाजा नहीं है कोरोना योद्धाओं के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरी साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। देश के एक-एक नागरिक की जान बचाने के लिए जी-जान से जूझते रहे।”

मोदी ने मन की बात के दौरान   भुवनेश्वर की पुष्पा शुक्ला, उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग माँ, राम दुलैया,  दिल्ली में 107 साल के केवल कृष्ण  और    हैदराबाद में 100 साल के जय चौधरी का उल्लेख किया और सभी को टीका  जरुर लगवाना चाहिए।  उन्होंने कहा कि  केरल से एक युवा आनंदन नायर ने तो इसे एक नया शब्द दिया है – ‘वैक्सीन  सेवा’। ऐसे ही सन्देश दिल्ली से शिवानी, हिमाचल से हिमांशु और दूसरे कई युवाओं ने भी भेजे है।  उन्होंने कहा, “इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए ‘दवाई भी –  कड़ाई भी’ और सिर्फ मुझे बोलना है – ऐसा नहीं ! हमें जीना भी है, बोलना भी है, बताना भी है और लोगों को भी, ‘दवाई भी, कड़ाई भी’, इसके लिए, प्रतिबद्ध बनाते रहना है।”

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