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मोदी ने की कृषि क्षेत्र में नवाचार का वकालत, बोले आधुनिकता जरूरी, नहीं बोझ बन जाएगी कृषि - Prakhar Prahari
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मोदी ने की कृषि क्षेत्र में नवाचार का वकालत, बोले आधुनिकता जरूरी, नहीं बोझ बन जाएगी कृषि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात के दौरान किसानों तथा कृषि का उल्लेख किया और कृषि क्षेत्र आधुनिकता और नयापन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिकता बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे रोजगार के अवसरों का सृजन होगा और किसानों की आय बढ़ेगी, नहीं कृषि बोझ बन जाएगी। 

उन्होंने कहा, “जीवन के हर क्षेत्र में, नयापन और आधुनिकता अनिवार्य होती है, वरना, वही, कभी-कभी, हमारे लिए बोझ बन जाती है। भारत के कृषि जगत में–आधुनिकता समय की मांग है। बहुत देर हो चुकी है। हम बहुत समय गवां चुके हैं। कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, परंपरागत कृषि के साथ ही, नए विकल्पों को, नए-नए नवाचार को, अपनाना भी, उतना ही जरूरी है।”

पीएम ने कहा कि श्वेत क्रांति के दौरान देश ने इसे अनुभव किया है। अब मधुमक्खी पालन भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है। मधुमक्खी पालन देश में शहद क्रांति का आधार बना रहा है। बड़ी संख्या में किसान इससे जुड़ रहे हैं, नवाचार कर रहे हैं।  उन्होंने  पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एक गाँव गुरदुम का उल्लेख किया और कहा कि पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहाँ के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया, और आज, इस जगह पर बने शहद की अच्छी मांग हो रही है। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के सुंदरबन तथा गुजरात के बनासकांठा का भी उल्लेख किया है और कहा कि इन इलाकों का प्राकृतिक जैविक शहद तो देश- दुनिया में पसंद किया जाता है। गुजरात का बनासकांठा, शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। आज बनासकांठा के किसान शहद से लाखों रुपए सालाना कमा रहे हैं। हरियाणा के यमुना नगर में, किसान मधुमक्खी पालन करके, सालाना, कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं, अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

मोदी ने कहा कि मधुमक्खी पालन केवल शहद से ही आय नहीं होती, बल्कि मक्खी बक्सा भी आय का एक बहुत बड़ा माध्यम है। दवा उद्योग खाद्य प्रसंस्करण उद्योग  कपड़ा  सौंदर्य प्रसाधन  उद्योग हर जगह  मधुमक्खी के छत्ते  के मोम की  भारी मांग है।  उन्होंने कहा कि स्थिति को देखते हुए किसान  तेजी से बदल रहे हैं। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान में मदद कर रहे हैं। आज तो पूरी दुनिया आयुर्वेद और, प्राकृतिक स्वास्थ्य वर्धक  उत्पादों के लिए  उनकी ओर की ओर देख रही है। ऐसे में शहद की माँग और भी तेजी से बढ़ रही है।

उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं देश के ज्यादा-से-ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन से भी जुड़ें। ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा।”

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