महाराष्ट्र में सियासी पारा ऊफान पर है और राज्य की राजनीति में सोमवार का दिन बेहद खास रहने वाला है। मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह की चिट्ठी की वजह से विवादों में घिरे राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख मंत्री रहेंगे या नहीं आज इसका फैसला हो सकता है। एनसीपी (NCP) यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार को देशमुख की किस्मत का फैसला करना है।
आपको बता दें कि देशमुख पर मुंबई पुलिस के निलंबित सहायक निरीक्षक सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपये प्रति माह उगाही करने का लक्ष्य देने का आरोप है। वाजे मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक रखवाने के मामले में फंसे हैं और मौजूदा समय में एनआईए (NIA) की हिरासत में हैं।
इस सिलसिले में दिल्ली में रविवार देर रात शरद पवार के आवास पर एनसीपी नेताओं की बैठक हुई थी, जिसके बाद पार्टी नेता जयंत पाटिल ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि अनिल देशमुख के इस्तीफे का सवाल ही नहीं है। एटीएस (ATS) एंटीलिया और मनसुख हिरेन केस की जांच कर रही है और हमें भरोसा है कि आरोपी जल्द सलाखों के पीछे होंगे।
उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान फिलहाल इन दो घटनाओं पर है और उसके बाद जरूरी कदम उठाए जाएंगे। बैठक के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमने इस बैठक में पंढरपुर-मंगलवेद विधानसभा उपचुनाव पर चर्चा की है। पंढरपुर में 17 अप्रैल को उप चुनाव होने हैं।
वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों और सचिन वाजे मामले से राज्य सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि सभी सहयोगी दलों को आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि उनके पैर जमीन पर हैं या नहीं। राउत शरद पवार से मिलने के लिए उनके घर भी गए थे।
इस बीच ऐसी खबरें भी आ रही है कि कांग्रेस आलाकमान देशमुख से जुड़े मामले को लेकर महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं। इस मसले पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने रविवार को दिल्ली में शरद पवार से मुलाकात भी की थी।
इससे पहले शरद पवार ने रविवार को कहा, “परमबीर ने देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन उसका कोई सबूत नहीं दिया है। चिट्ठी में यह भी नहीं बताया कि पैसा किसके पास गया। साथ ही पत्र पर परमबीर के साइन भी नहीं हैं। मुझे नहीं पता कि महाराष्ट्र सरकार को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है या नहीं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि सरकार पर इन सब मामलों का कोई असर नहीं होगा।“
उन्होंने इस मामलों की जांच पूर्व आईपीएस (IPS) अफसर जूलियो रिबेरो से कराने का सुझाव भी दिया। वहीं देशमुख के इस्तीफे से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कहा कि उद्धव ठाकरे से चर्चा के बाद एक-दो दिन में इस पर फैसला ले लिया जाएगा।
उधर, रिबेरो ने कहा है कि किसी ने (राज्य सरकार में से) मुझसे संपर्क नहीं किया है और वैसे भी यदि वे मुझसे संपर्क करते हैं तो, मैं उपलब्ध नहीं हूं। मैं 92 साल का हूं। इस उम्र में कोई ऐसा काम नहीं कर सकता। अगर जांच महाराष्ट्र के गृह मंत्री के खिलाफ है तो पवार को यह देखना चाहिए, क्योंकि वे सत्तारुढ़ पार्टी के मुखिया हैं।’
वहीं बीजेपी नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख के पद पर रहते जांच संभव नहीं है। ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर लेन-देन और वसूली के मामले को लेकर इस सरकार में यह पहला पत्र नहीं है। इसके पहले पुलिस महानिदेशक रहे सुबोध कुमार जायसवाल ने रिपोर्ट सरकार को दी थी, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने पर वे केंद्र में डेपुटेशन पर चले गए। उन्होंने सवाल किया है कि कैसे संभव है कि पुलिस महकमे में चल रही गतिविधियों की जानकारी मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को न हो।