Subscribe for notification
ट्रेंड्स

महिला दिवस विशेष….जिससे है पूरा जहान, उसके लिए आगे और भी हैं इम्तहान

नई दिल्ली. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। पूरी दुनिया में महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। भारत समेत कई देशों ने महिलाओं के लिए कई कानूनी अधिकार भी बनाए हैं लेकिन आज भी कई महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इन कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी भी नहीं हैं, जबकि भारतीय संविधान महिलाओं को न केवल समानता का दर्जा प्रदान करता है अपितु राज्य को महिलाओं के पक्ष में सकारात्मक भेदभाव के उपाय करने की शक्ति भी प्रदान करता है।

महिलाओं के लिए जानना जरूरी –
ऐसे मिलती रही मजबूती : महिलाओं के अधिकारों एवं कानूनी हकों की रक्षा के लिए वर्ष 1990 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई। भारतीय संविधान में 73वें और 74वें संशेाधनों (1993) के माध्यम से महिलाओं के लिए पंचायतों और नगरपालिकाओं के स्थानीय निकायों में सीटों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो स्थानीय स्तरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

यह विडंबना : जेंडर संबंधी असमानता कई रूपों में उभरकर सामने आती है। बालिकाओं, किशोरियों तथा महिलाओं के प्रति भेदभाव भारत के अनेक भागों में जारी है। परिणामस्वरूप, महिलाओं और खासकर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गों की महिलाओं, जो अधिकांशत: ग्रामीण क्षेत्रों में और अनौपचारिक, असंगठित क्षेत्र में हैं, की अन्यों के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और उत्पादक संसाधनों तक पहुंच अपर्याप्त है। अत: वे ज्यादातर सीमांत, गरीब और सामाजिक रूप से वंचित रह जाती हैं।

उपलब्ध कराए जा रहे विकल्प : देश में चूंकि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों में महिलाओं की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और वे ज्यादातर परिस्थितियों में अत्यधिक गरीबी में रहती हैं। लिहाजा, महिलाओं की सक्षमताओं में वृद्धि के लिए आवश्यक समर्थनकारी उपायों के साथ उन्हें अनेक आर्थिक और सामाजिक विकल्प उपलब्ध कराकर गरीब महिलाओं को एकजुट करने तथा सेवाओं की समभिरूपता के लिए कदम उठाने के प्रयास जारी हैं।

इसकी नितांत आवश्यकता : भूमंडलीकरण ने महिलाओं की समानता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं, जिसके जेंडर प्रभाव का मूल्यांकन व्यवस्थित ढंग से नहीं किया गया। तथापि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा करवाए गए सूक्ष्म स्तरीय अध्ययनों से स्पष्ट तौर पर पता चला है कि रोजगार तक पहुंच तथा रोजगार की गुणवत्ता के लिए नीतियों को दोबारा बनाने की आवश्यकता है।

महिलाएं और कृषि: कृषि क्षेत्र के महिला कामगारों को लाभ पहुंचाने के लिए मृदा संरक्षण, सामाजिक वानिकी, डेयरी विकास और कृषि से संबद्ध अन्य व्यवसायों जैसे कि बागवानी, लघु पशुपालन सहित पशुधन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन इत्यादि में महिला प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार किया जा रहा है।

महिलाएं और उद्योग : इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि उद्योग तथा वस्त्र उद्योग में महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका इन क्षेत्रों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण रही है। विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में भागीदारी के लिए उन्हें श्रम विधान, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सहायता सेवाओं के रूप में व्यापक सहायता देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस समय महिलाएं चाहकर भी कारखानों में रात्रि पारी में काम नहीं कर सकती हैं। महिलाओं को रात्रि पारी में काम करने में समर्थ बनाने के लिए उपयुक्त उपाय किए जा रहे हैं।

शिक्षा सबसे जरूरी : महिलाओं और लड़िकयों के लिए शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं। विशेष रूप से अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों/अन्य पिछड़ा वर्गों/अल्पसंख्यकों समेत कमजोर वर्गों की लड़कियों और महिलाओं पर विशेष ध्यानाकर्षित करते हुए मौजूदा नीतियों में समय संबंधी सेक्टोरल लक्ष्यों को प्राप्त करने पर जोर है।

स्वास्थ्य भी अहम : महिलाओं के स्वास्थ्य, जिसमें पोषण और स्वास्थ्य सेवाएं दोनों शामिल हैं, के प्रति सम्पूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाएगा और जीवन चक्र के सभी स्तरों पर महिलाओं तथा लड़कियों की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान समय की मांग है। शिशु और मातृ मृत्यु दर तथा बाल विवाह जैसी समस्याओं से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए अनेक कार्यक्रम बनाए गए हैं।

महिलाओं के विरूद्ध हिंसा : महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार की हिंसा, चाहे यह शारीरिक हो अथवा मानसिक, घरेलू स्तर पर हो अथवा सामाजिक स्तर पर, जिसमें रिवाजों, परम्पराओं अथवा प्रचलित मान्यताओं से उत्पन्न हिंसा शामिल है, से प्रभावी ढंग से निपटने के प्रति हमारी व्यवस्था सजग है। कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न समेत ऐसी हिंसा एवं दहेज जैसी प्रथाओं की रोकथाम के लिए, हिंसा की शिकार महिलाओं के पुनर्वास के लिए और इस प्रकार की हिंसा करने वाले अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी कार्रवाई करने के लिए सहायता प्रदान करने वाली संस्थाओं और तंत्रों/स्कीमों को सुदृढ़ किया जा रहा है।

सशक्त पंचायती राज : भारतीय संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों (1993) ने राजनीतिक अधिकारों की संरचना में महिलाओं के लिए समान भागीदारी तथा सहभागिता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता दिलाई है। पंयायती राज संस्थाएं सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की सहभगिता बढ़ाने की प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाएंगी।

Delhi Desk

Recent Posts

Saif Ali Khan Attack: मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार बांग्लादेशी के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने का किया दावा

मुंबईः बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हुए हमले की जांच कर रही मुंबई पुलिस ने दावा किया है कि…

1 hour ago

Prayagraj Mahakumbh Mela Stampede Live Updates: संगम तट पर मची भगदड़, सीएम योगी ने लोगों से की अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

प्रयागराजः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई। इस घटना…

2 hours ago

चुनाव आयोग से मिला बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल, केजरीवाल के प्रचार पर रोक लगाने की मांग की

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में बीजेपी एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को चुनाव आयोग…

13 hours ago

दिल्ली के पास आपदा के कुशासन और भ्रष्टाचार के अंधकार से निकलने का एक मात्र विकल्प बीजेपीः शाह

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और AAP के राष्ट्रीय…

14 hours ago

भाईजान’ के सामने आने वाला संकट ही AAP और कांग्रेस की परेशानी हैः योगी

संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को दिल्ली में चार चुनावी रैलियों को संबोधित…

15 hours ago

विदेशी महामंडलेश्वरों का आश्रम, आईआईटी बाबा और मोनालिसा के अलावा ऐसा बहुत कुछ है महाकुंभ में जिसे जानकर आप चौक जाएंगे

प्रयागराजः इस वक्त संगम नगरी प्रयागराज में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रति दिन देश…

1 day ago