धोनी नंबर वन….किसान मेले में मिला श्रेष्ठ गो-पालक का सम्मान

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रांची. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी सर्वश्रेष्ठता से फिर कायल किया है। यह बार उन्होंने यह कीर्तिमान क्रिकेट में नहीं, बल्कि गोपालन में स्थापित किया है। पूर्वी भारत में पशुपालन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य और योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ गोपालक का खिताब मिला है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे पूर्व क्षेत्र प्रादेशिक एग्रोटेक किसान मेला में उन्हें सम्मानस्वरूप स्मृति चिन्ह व शॉल दिया गया, जिसे उनके प्रतिनिधि कुणाल गौरव ने स्वीकार किया।

बता दें कि क्रिकेटर और फार्महाउस का पुराना शौक रहा है। फार्म हाउस पर क्रिकेटर पशुओं को पालते हैं। सूत्रों ने बताया कि धोनी नयी तैयार नस्ल किसानों को मुफ्त में देने की योजना बना रहे हैं। विशेष ब्रीड की गायों के प्रति विशेष उत्साह देखने का मिल रहे हैं। क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से अलविदा कहने के बाद महेंद्र सिंह धोनी पशुपालन के लिए काम कर रहे हैं। वह आधुनिक किसान बनने की राह पर हैं। रांची के सेम्बो गांव में 43 एकड़ के नये फार्म हाउस में धोनी खेती और डेयरी पालन कर रहे हैं। जो किसानों के लिए है।

धोनी का यह ड्रीम फार्म हाउस घने जंगलों से घिरा हुआ है। उनका फार्म हाउस, हरी भरी सब्ज़ियों से लहलहा रहा हैं। धोनी के 43 एकड़ के फार्म हाउस में सब्ज़ियों की पैदावार तो हो ही रही हैं। बड़े पैमाने पर डेयरी, मछली पालन और मुर्गी पालन करने की भी शुरुआत हो चुकी है। धोनी के डेयरी में अभी 72 गाय है जो फ़्रांस की फ्रीजियन, साहीवाल नस्ल की हैं। गीर नस्ल की गायों को लाने की तैयारी की जा रही है। इन विशेष नस्लों की गायों के साथ पशु डॉक्टर में भी अनुसंधान में लगे हुए हैं। अभी उनके डेयरी से 400 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है।

धोनी की दो गाएं मेला में आयोजित पशु-पक्षी प्रदर्शनी में शामिल की गईं। इनमें एक क्रॉस ब्रीड व दूसरी गाय साहिवाल प्रजाति की थी। ये गाएं प्रतिदिन लगभग 35 लीटर दूध देती हैं। छह सदस्यीय निर्णायक मंडली ने विजेताओं का चयन किया। बीएयू के डीन वेटनरी डॉ सुशील प्रसाद ने बताया कि चयन प्रक्रिया में गाय की शारीरिक संरचना, दूध की क्षमता आदि की परख की गई। पशु-पक्षी प्रदर्शनी का उदघाटन विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने किया।

विधायक सरयू राय ने कृषि को प्रकृति का मानव उपहार बताया। उन्होंने बदलते वैश्विक परिवेश में प्रकृति, कृषि ,पशु और पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया। पशु प्रबंधन पर वैज्ञानिकों को अधिक योगदान देने व पशुपालन को अधिक उपयोगी और लाभकारी बनाने की बात कही। कार्यक्रम में कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह समेत विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिक, शिक्षक और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।

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