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अंतरराष्ट्रीय

इमरान के पक्ष में पड़े 178 वोट..कुर्सी बचाने में कामयाब रहे तो लगे भारत को नीचा दिखाने

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सत्ता बचाने में तो कामयाब हो गए, लेकिन चुनौतियों ने उन्हें नई सबक दी है। हालांकि भारत विरोध राग अलापकर उन्होंने चेहरे पर जबर्दस्ती मुस्कान लाने की कोशिश की। शनिवार को संसद में लगभग एक घंटे तक चले विश्वास मत की प्रक्रिया में इमरान खान के समर्थन में वोट 178 वोट पड़े। कुर्सी बचाने के लिए नेशनल असेंबली में 172 वोटों की जरूरत थी।

दरअसल, सीनेट के चुनाव में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रत्याशी अब्दुल हफीज शेख को पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने करारी शिकस्त दी। यह इमरान सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। इमरान खान ने खुद शेख के लिए प्रचार किया था। गिलानी की जीत से उत्साहित विपक्षी दलों ने इमरान का इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया तो इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत हासिल करने की घोषणा कर दी।

इमरान खान पाकिस्तान के इतिहास में दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने नेशनल एसेंबली में अपनी इच्छा से विश्वास मत का सामना किया। इससे पहले नवाज शरीफ ने सन् 1993 में स्वेच्छा से विश्वास मत का सामना किया था। इससे पहले संविधान के आठवें संशोधन के तहत, 1985 से 2008 तक, पाकिस्तान के सभी प्रधानमंत्रियों ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत का सामना किया है। इनमें स्वर्गीय बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ, मीर जफरुल्लाह जमाली, चौधरी शुजात, शौकत अजीज और यूसुफ रजा गिलानी शामिल है।

इस दौरान इमरान खान ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर हमला करते हुए पाक की तुलना भारत से की। उन्होंने कहा, आज से 50-55 साल पहले दुनिया में पाक की मिसाल दी जाती थी, क्योंकि उसका रुतबा था। देश के नीचे आने का बड़ा कारण 1985 के बाद देश में शुरू हुआ भ्रष्टाचार रहा। याद रहे एक लाइव प्रसारण में पाक पीएम ने कहा था कि पहले जब मैं क्रिकेट खेलकर भारत से पाकिस्तान आता था तो लगता था जैसे किसी गरीब देश से अमीर मुल्क में आ गया हूं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। तब इमरान खान ने दावा किया था कि 1985 तक भारत पाकिस्तान के मुकाबले गरीब मुल्क था। हालांकि, हकीकत इससे पूरी तरह अलग है।

यह बात सच है कि आजादी के बाद लंबे समय तक दोनों देशों को गरीबी से लड़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन 1985 में दोनों देशों की जीडीपी की तुलना करें तो उस समय भी भारत पाकिस्तान से बहुत आगे था। 1985 में पाकिस्तान की जीपीडी महज 31.14 अरब डॉलर की थी, जबकि भारत की जीडीपी 232.51 अरब डॉलर की थी। इमरान की यह बात जरूर सच है कि 90 के दशक के बाद पाकिस्तान और गर्त में चला गया, जबकि दूसरी तरफ भारत में आर्थिक तरक्की को नई गति मिली और दोनों देशों के बीच अब जमीन-आसमान का फर्क आ चुका है।

Delhi Desk

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